गाय के कच्चे दूध (Cow’s Raw Milk) को अक्सर पाश्चुरीकृत दूध के मुकाबले सुरक्षित और पौष्टिक माना जाता है।
लेकिन यूएस स्थित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी में ऐसा दूध हानिकारक मिला है।
जांच में पता चला है कि इन्फ्लूएंजा या फ्लू वायरस (Flu virus) फ्रिज के कच्चे दूध में पांच दिनों तक संक्रामक रह सकता है।
नतीजे ऐसे समय में आए है जब मवेशियों में बर्ड फ्लू के बढ़ते प्रकोप से एक नई महामारी की आशंका है।
- Advertisement -
यानी कच्चे दूध के माध्यम से इंसानों में एवियन इन्फ्लूएंजा फैलना संभव है। इसलिए, दूध का पाश्चुरीकरण सुरक्षात्मक है।
अभी तक पाश्चुरीकृत दूध की अपेक्षा कच्चे दूध में अधिक लाभकारी पोषक तत्व, एंजाइम और प्रोबायोटिक्स माने गए है।
इन लाभकारी पोषक तत्वों से इंसानी इम्यूनिटी और पाचन संबंधी स्वास्थ्य में वृद्धि का अनुमान रहा है।
हालांकि, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कच्चे दूध को 200 से अधिक बीमारियों के प्रकोप से जोड़ा है।
एफडीए ने कच्चे दूध के ई. कोली व साल्मोनेला जैसे विषाणुों से बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं एवं कमज़ोर इम्यून सिस्टम वालों को खतरा भी कहा है।
- Advertisement -
स्टडी वैज्ञानिकों ने ठंडे तापमान में रखे गाय के कच्चे दूध में H1N1 PR8 नामक फ्लू वायरस को पाँच दिनों तक जीवित व संक्रामक पाया है।
उनके मुताबिक, यह वायरस डेयरी की भीतर सतहों और अन्य पर्यावरणीय सामग्रियों को दूषित कर सकता है।
इसकी संख्या व मारक क्षमता में वृद्धि जानवरों और मनुष्यों की सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
यह पाया गया कि फ्लू वायरस आरएनए कच्चे दूध में कम से कम 57 दिनों तक असरदार रहे थे।
वायरस आरएनए विषाणुों का ऐसा समूह है, जिनकी कोडिंग क्षमता सीमित, लेकिन महामारी और संक्रमित करने में सक्षम होते हैं।
जबकि पाश्चुरीकरण विधि से दूध में मौजूद संक्रामक इन्फ्लूएंजा पूरी तरह से नष्ट जाना गया।
यही नहीं, वायरल आरएनए की मात्रा भी लगभग 90% कम मिली, भले ही आरएनए पूर्णतया नष्ट नहीं हुआ।
वर्तमान नतीजों ने जानवरों में फैलते बर्ड फ्लू को देखते हुए सावधान रहने की सलाह दी है।
भले ही बर्ड फ्लू अभी तक इंसानों के लिए घातक साबित नहीं हुआ है, लेकिन बदलता रूप गंभीर हो सकता है।
मवेशियों में बर्ड फ्लू पता चलने के बाद दूध और अन्य डेयरी उत्पादों से इसके संभावित फैलाव की आशंका है।
इस बारे में Environmental Science & Technology Letters में छपी स्टडी से गहन जानकारी मिल सकती है।
Also Read: दूध प्रोटीन में है तेजी से घाव भरने की क्षमता: स्टडी