मछली के तेल (fish oil) से जुड़े अनगिनत फायदे हमें बताए जाते है, लेकिन इसका सप्लीमेंट लेने से क्या वाकई हर इंसान को लाभ होगा?
वैज्ञानिकों का सीधा-सा जवाब है – जी नहीं!
उनके अनुसार, फिश ऑयल सप्लीमेंट (fish oil supplement) खाने से होने वाले लाभों का मिलना या न मिलना इंसान के जीन पर निर्भर करता है।
सयुंक्त राज्य अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया के वैज्ञानिकों की नई खोज बताती है कि शरीर में बढ़े हुए खतरनाक कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) को तेल के सप्लीमेंट तभी कम करेंगे यदि आपका जेनेटिक बैकग्राउंड (genetic background) इसके सेवन के अनुकूल होगा। ऐसा न होने पर, फिश ऑयल सप्लीमेंट उल्टा आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा देगा।
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इस तरह की चौकाने वाली खोज के लिए वैज्ञानिकों ने मछली के तेल और इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड का ट्राइग्लिसराइड्स (triglycerides) पर प्रभाव देखा। आपको बता दें कि ट्राइग्लिसराइड्स खून में मिलने वाला एक तरह का फैट है, जो दिल से संबंधित विकारों का कारण माना गया है।
खून में ज्यादा मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड का स्तर दिल की बीमारियों के खतरे को कम करने वाला समझा जाता है, जो मछली से भरपूर मात्रा में मिल सकता है। बस यहीं पर सारा दारोमदार लेने वाले के जीन पर आकर टिक जाता है।
जीन के ऐसे प्रभावों को परखने के लिए 70,000 इंसानों के खून में मौजूद तेल और फैट के नमूने जांचे गए।
वैज्ञानिकों को लगभग 6 करोड़ से ज्यादा टेस्ट करने पर एक महतवपूर्ण जेनेटिक वेरिएंट मिला जिससे उन्हें पता चला कि AG जीन वालों का फिश ऑयल लेने के बाद खून में फैट घटा, लेकिन AA जीन वालों का फैट जरा-सा बढ़ गया।
निष्कर्षों के अनुसार, फिश ऑयल सप्लीमेंट बेचने वाली कंपनियों या पिछले अध्ययनों में इस तरफ ध्यान इसलिए नहीं दिया क्योंकि उन्होंने इंसानी जीन के ऐसे बर्ताव की कभी कल्पना ही नहीं की थी।