नियमित बादाम का सेवन त्वचा के रंग और झुर्रियों में सुधार लाने में सहायक है, ऐसा ज्यादा उम्र की महिलाओं पर हुए एक अध्ययन में पाया गया।
बादाम (almond) खाने से हुआ ऐसा सुधार फिट्ज़पैट्रिक स्किन टाइप (Fitzpatrick skin type) I और II की पोस्टमेनोपॉज़ल (postmenopausal) यानि रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में देखा गया।
फिट्ज़पैट्रिक त्वचा के प्रकारों को वर्गीकृत करने का एक तरीका है, जिसमें सनबर्न (sunburn) और त्वचा कैंसर (skin cancer) के खतरे का उल्लेख होता है।
यदि किसी की त्वचा का प्रकार 1 या 2 है, तो उसे सूर्य की किरणों से क्षति और त्वचा कैंसर का खतरा होता है।
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न्यूट्रिएंट्स जर्नल में प्रकाशित इससे जुड़े निष्कर्ष एक पिछले अध्ययन की पुष्टि और विस्तार है, जिसमें पाया गया कि अन्य स्नैक्स (snacks) के स्थान पर हर रोज बादाम की एक निश्चित मात्रा ने पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं की झुर्रियों संबंधी गंभीरता को सुधारा।
इसके लिए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने फिट्ज़पैट्रिक त्वचा के प्रकार 1 या 2 वाली 49 स्वस्थ पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं को 24 हफ्तों के लिए दो समूहों में बांटा।
एक समूह ने स्नैक के तौर पर अपनी दैनिक ऊर्जा खपत का 20 फीसदी भाग बादाम खा कर पूरा किया, जबकि दूसरे समूह ने उतने फीसदी कैलोरी से मिलते-जुलते स्नैक का सेवन किया।
अध्ययन की शुरुआत में और फिर आठ, 16 और 24 सप्ताह में चेहरे की झुर्रियों, त्वचा का रंग, नमी और तेल (sebum) का आंकलन किया गया।
शोधकर्ताओं ने बादाम का सेवन करने वाले समूह में झुर्रियों की गंभीरता में 16 प्रतिशत की महत्वपूर्ण कमी देखी। यही नहीं, उनके स्किन टोन की असमानता में भी 20 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई।
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बादाम खाने के त्वचा पर ऐसे अच्छे प्रभावों के पीछे उनमें मौजूद फैटी एसिड, पॉलीफेनोल्स और विटामिन ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट का होने बताया गया। इसके अलावा तेज धूप से भी त्वचा को बचाना जरूरी है, जिसके लिए मिनरल से बना सनस्क्रीन फायदेमंद है।
टीम का कहना था कि अन्य आबादी में भी बादाम खाने के प्रभावों की जांच के लिए अधिक शोध किया जाना चाहिए।