Daytime eating benefits: खाना खाने का समय (Meal timing) भी हमारे मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) को प्रभावित कर सकता है, ये कहना है अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञों का।
बोस्टन के ब्रिघम एंड वीमेन हॉस्पिटल की नई स्टडी ने दिन की बजाए रात के भोजन (Nighttime meal) से डिप्रेशन (Depression) और चिंता (Anxiety) के स्तर में वृद्धि की जानकारी दी है।
दिन और रात की शिफ्ट में काम करने वाले इंसानों पर हुई स्टडी के नतीजे, रात की जॉब में खाना खाने वालों के चिंता और डिप्रेशन जैसे मूड के स्तर में क्रमश: 16% और 26% की वृद्धि बताते है।
हालांकि, उनके मुक़ाबले केवल दिन में ही भोजन करने वालों ने ऐसी नकारात्मक भावनाओं का अनुभव नहीं किया।
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नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित निष्कर्ष सुझाव देते है कि भोजन का समय मूड के उतार-चढ़ाव को प्रभावित कर सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ऐसा शिफ्ट वर्करों की बॉडी क्लॉक (Body clock) में हुए असंतुलन से संभव बताया है।
बता दें कि सोने-जागने और उपवास-खाने के चक्रों से प्रभावित सर्कैडियन रिदम (Circadian rhythm) के गड़बड़ाने से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
शिफ्ट वर्कर्स अक्सर इस असंतुलन का अनुभव करते है जिससे उनमें डिप्रेशन और चिंता का 25 से 40% अधिक जोखिम देखा गया है।
इससे बचने के लिए नींद और सर्कैडियन रिदम को अनुकूलित करने वाली रणनीतियां मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं।
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12 पुरुषों और 7 महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भोजन के समय का असर जानने के लिए टीम ने हर घंटे उनके डिप्रेशन और चिंता के स्तर का आकलन किया।
टीम ने पाया कि भोजन के समय ने उनके मूड के स्तर को काफी प्रभावित किया। विशेषकर, रात की पाली के लोगों ने डिप्रेशन और चिंता जैसे मानसिक विकारों के स्तर में वृद्धि की सूचना दी।
इसके विपरीत, दिन के भोजन वाले समूह के मूड में कोई बदलाव नहीं देखा गया।
विशेषज्ञों का मानना था कि सर्कैडियन असंतुलन से जूझ रहे लोगों के मूड पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के लिए उनके भोजन के समय में परिवर्तन करना लाभकारी हो सकता है।
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