COVID-19 ने किस तरह लोगों की जीवनशैली को प्रभावित किया इससे जुड़ा एक और अध्ययन सामने आया है जो बताता है कि कोरोना प्रतिबंधों ने खाने के विकार (eating disorder) से जुड़े लक्षणों में वृद्धि की है।
इससे लोगों में भोजन के उतार-चढ़ाव से जुड़े एनोरेक्सिया (anorexia) और बुलिमिया (bulimia) जैसे घातक ईटिंग डिसऑर्डर का खतरा हो सकता है।
कैम्ब्रिज की एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी (ARU) के विद्वानों द्वारा किए गए अध्ययन ने साल 2020 की गर्मियों के दौरान 319 हेल्थ क्लब मेंबर्स के खाने-पीने से जुड़े व्यवहार और दृष्टिकोण की जांच के बाद ऐसी संभावना देखी।
मेंबर्स की कम या ज्यादा भोजन खाने संबंधी आदतों का मिलान साल 2019 में की गई एक रिसर्च से करने पर यूनिवर्सिटी के विद्वानों ने 2019 की तुलना में 2020 के लॉकडाउन के बाद में उनकी ऐसी आदतें बढ़ी हुई देखी।
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‘साइकियाट्री रिसर्च’ पत्रिका में प्रकाशित हुए इस अध्ययन के निष्कर्ष बताते है कि लोग अक्सर तनाव कम करने के लिए भोजन को एक थेरेपी के रूप में उपयोग करते है।
हालांकि, अच्छी बात यह थी कि लॉकडाउन के बाद अध्ययन के प्रतिभागी अपने एक्सरसाइज रूटीन को फिर से शुरू करने और अधिक एक्सरसाइज करके खोए हुई सेहत पाने को उत्सुक थे।
विद्वानों की राय में नियमित एक्सरसाइज करने से कई शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलते है, इसलिए यह एक सकारात्मक खोज भी है।
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