क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और मोबाइल ऐप जैसे कैशलेस भुगतान के व्यापक उपयोग ने लेनदेन को उपभोक्ताओं के लिए सुविधाजनक बना दिया है।
लेकिन कुछ शोध बताते है कि इससे उपभोक्ता जंक फूड जैसे अनहेल्थी खाने पर ज्यादा खर्च कर रहे है।
जर्नल ऑफ दी एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर रिसर्च में प्रकाशित एक नए लेख में इसके बारे में कहा है कि कैशलेस भुगतान के समय शारीरिक प्रतिक्रियाओं में परिवर्तन उपभोक्ता की खरीदारी को प्रभावित करते है।
लेखकों के अनुसार, ज्यादातर लोग नकद भुगतान करते समय धन के नुकसान की एक नकारात्मक भावना का तुरंत अनुभव करते है।
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इसके विपरीत, जब कोई व्यक्ति कार्ड स्वाइप करता है या मोबाइल से भुगतान करता है, तो उनके लिए ऐसी कल्पना करना मुश्किल होता है।
लेखकों ने इसके पीछे रुपयों का साक्षात लेन-देन न होना बताया है, जिससे भुगतान करने का दर्द महसूस नहीं होता और समझदारी से खरीदारी करने पर असर पड़ता है।
लेखकों का सुझाव है कि कैशलेस भुगतान का अहसास उपभोक्ताओं के ध्यान को उनके निर्णय से आए जोखिमों से हटा सकता है। खासकर जंक फूड खरीदते समय उन्हें पता नहीं होता कि इनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है।
इस विचार का परीक्षण करने के लिए, लेखकों ने एक नकली किराने की खरीदारी के लिए प्रतिभागियों को प्रयोगशाला में आमंत्रित किया। यहां कुछ को नकद भुगतान की कल्पना करने के लिए कहा गया और अन्य को कैशलेस भुगतान की कल्पना करने को कहा गया।
खरीदारी करने की नकल करते हुए प्रतिभागियों ने अपने हाथों पर एक उपकरण पहना जो उनकी शारीरिक उत्तेजना के स्तर में परिवर्तन को मापता था।
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लेखकों ने पाया कि कैशलेस भुगतान की सोच वाले प्रतिभागियों ने नकद भुगतान की सोच वालों की तुलना में कम उत्तेजना का अनुभव किया।
नकद भुगतान ने प्रतिभागियों को किराने की वस्तुओं से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों पर ध्यान देने को मजबूर किया। परिणामस्वरूप, उन्होंने कुकीज़ और कैंडी जैसे अस्वास्थ्यकर वस्तुओं को खरीदने की कम संभावना दिखाई।
दूसरी ओर, कैशलेस भुगतान से हुई कम उत्तेजना ने प्रतिभागियों का सेहत से जुड़े जोखिमों पर कम ध्यान खींचा। इसलिए उनमे जंक फूड जैसी अस्वास्थ्यकर वस्तुओं को खरीदने की अधिक संभावना दिखी।
अर्थात्, बिना नकद लेन-देन ने उन्हें खाने-पीने संबंधी सावधानियों के निर्णय पर ध्यान नहीं देने दिया।
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