गाजर (carrot) बीटा-कैरोटीन (beta-carotene) का एक अच्छा स्रोत है जो शरीर को विटामिन ए देता है। मनुष्यों और चूहों में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि बीटा-कैरोटीन के रूपांतरण से मिलने वाले विटामिन ए द्वारा रक्त में “खराब” कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। इसलिए बीटा-कैरोटीन एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) – धमनियों में वसा और कोलेस्ट्रॉल के जमाव – से बचाने में मदद कर सकता है।
लेकिन इस सुपरफूड के पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिए आपको इस विटामिन का उत्पादन करने के लिए एक एक्टिव एंजाइम की आवश्यकता होती है। बीटा-कैरोटीन एक बायोएक्टिव कंपाउंड है जो गाजर को नारंगी रंग देता है।
इलिनोइस विश्वविद्यालय में खाद्य विज्ञान और मानव पोषण विभाग के सहायक प्रोफेसर जौमे एमेंगुएल का मानना है कि एथेरोस्क्लेरोसिस हृदय रोग दुनिया भर में मौत का प्राथमिक कारण है।
हाल ही में एमेंगुएल और उनके सहयोगियों ने हृदय स्वास्थ्य पर बीटा-कैरोटीन के प्रभावों को समझने के लिए दो अध्ययन किए और इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम की पहचान की।
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एंजाइम और कोलेस्ट्रॉल के खराब स्तर के बीच संबंध
बीटा-कैरोटीन विटामिन ए में बीटा-कैरोटीन ऑक्सीजनेस 1 (BCO1) नामक एंजाइम की मदद से परिवर्तित हो जाता है। हालांकि, कम एक्टिव एंजाइम वाले लोगों को अपने आहार में विटामिन ए के लिए अन्य स्रोतों की आवश्यकता हो सकती है।
जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित पहले अध्ययन में 18 से 25 वर्ष की आयु के 767 स्वस्थ युवाओं के रक्त और डीएनए नमूनों का विश्लेषण किया गया। जैसा कि अपेक्षित था, शोधकर्ताओं ने BCO1 गतिविधि और कोलेस्ट्रॉल के खराब स्तर के बीच संबंध पाया।
टीम ने पाया कि जिन लोगों के पास एंजाइम BCO1 को अधिक सक्रिय बनाने से जुड़ा आनुवंशिक रूप था, उनके रक्त में कोलेस्ट्रॉल कम था। इन निष्कर्षों को देखने के लिए, एमेंगुएल और उनके सहयोगियों ने चूहों का उपयोग करते हुए एक दूसरा अध्ययन किया।
“मानव अध्ययन में, हमने देखा कि उन लोगों में कोलेस्ट्रॉल अधिक था जो विटामिन ए का ज्यादा उत्पादन नहीं करते। लेकिन यह जानने के लिए कि क्या उस अवलोकन का लंबे समय में प्रभाव पड़ता है, क्या उन्हें दिल की बीमारी का खतरा होता है या नहीं, हमें यह देखने के लिए 70 साल का इंतजार करना होगा।”
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क्योंकि वास्तविक जीवन में यह संभव नहीं है, इसलिए शोधकर्ता कुछ अध्ययनों के लिए जानवरों का उपयोग करते हैं ताकि इस प्रक्रिया को जल्दी कर सकें।
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चूहों को बीटा-कैरोटीन देने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम
“हमने देखा कि जब हम चूहों को बीटा-कैरोटीन देते हैं, तो उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। ये चूहे अपनी धमनियों में छोटे एथेरोस्क्लेरोसिस संबंधित असामान्य बदलाव, या प्लॉक का विकास करते है। इसका मतलब यह है कि बीटा-कैरोटीन दिए गए चूहे, बिना इसके आहार वाले चूहों की तुलना में एथेरोस्क्लेरोसिस से ज्यादा सुरक्षित है,” प्रोफ़ेसर एमेंगुएल का कहना था।
दूसरे अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने यह निर्धारित करते हुए कि शरीर में इनका प्रभाव कहां होता है इन प्रक्रियाओं के जैव रासायनिक मार्गों की भी जांच की।
उन्होंने इसे लिवर तक सीमित कर दिया क्योंकि यही रक्तप्रवाह में लिपोप्रोटीन का उत्पादन और स्राव करने वाला मुख्य अंग होता है। इनमें वो लिपोप्रोटीन भी शामिल हैं, जिन्हें खराब कोलेस्ट्रॉल के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने पाया कि विटामिन ए के उच्च स्तर वाले चूहों के रक्तप्रवाह में लिपिड का स्राव धीमा हो जाता है।
पौधों के अलावा पशु स्त्रोत भी जरूरी
BCO1 एंजाइम कैसे कोलेस्ट्रॉल से जुड़ा है यह समझना एक महत्वपूर्ण प्रभाव है। आमतौर पर, रक्त में उच्च बीटा-कैरोटीन का स्तर स्वास्थ्य लाभ से जुड़ा होता है, लेकिन यह एक कम सक्रिय BCO1 एंजाइम का संकेत भी हो सकता है जो हमारे द्वारा खाये जाने वाले बीटा-कैरोटीन को ए में परिवर्तित नहीं कर रहा है।
शोधकर्ता देखते है कि 50% तक की आबादी में ये एंजाइम कम सक्रिय है। इसका मतलब है कि उनका शरीर पौधों से मिलने वाले स्रोत से विटामिन ए का उत्पादन करने में धीमा है। इसके लिए उन्हें इस पोषक तत्व को पशु स्रोतों जैसे दूध या पनीर से सीधे प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है।