दुनिया भर में लोग कैफीनयुक्त कॉफी, कोला और एनर्जी ड्रिंक्स के दीवाने है लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि कैफीन का नियमित सेवन सोचने-समझने और याददाश्त की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
स्विट्ज़रलैंड की बेसल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में लिखा है कि नियमित कैफीन का सेवन मस्तिष्क के ग्रे मैटर (gray matter) में बदलाव ला सकता है। हालांकि, ऐसे प्रभाव अस्थायी प्रतीत हुए।
आपको बता दें कि ग्रे मैटर दिमाग का वो हिस्सा है जो मांसपेशियों की हरकतों और देखने, सुनने, सोचने, याद करने, आत्म-संयम वगैरह से जुड़ा है।
कैफीन पीने से नींद में बाधा
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पिछले अध्ययनों में शाम को कैफीन पीने से अनिद्रा की बात कही गयी है जिससे ग्रे मैटर प्रभावित होता है। जानकार मानते है कि नियमित कैफीन पीने से अगर नींद में बाधा आती रहे तो इससे दिमागी ढांचा गड़बड़ा सकता है।
इस धारणा की पुष्टि के लिए शोध दल ने नियमित रूप से कॉफी पीने वाले 20 स्वस्थ युवा व्यक्तियों को अध्ययन में शामिल किया।
एक अध्ययन में उन्हें कैफीन की गोलियां खाने को मिलीं और दूसरे में बिना कैफीन वाली जिसे वैज्ञानिक प्लेसबो (placebo) कहते है जिसका शरीर पर कोई असर नहीं होता।
10 दिन के बाद शोधकर्ताओं ने स्कैन के माध्यम से उनके दिमाग के ग्रे मैटर की जांच की तो पाया कि नींद की गुणवत्ता के बजाए इसमें ज्यादा फर्क था।
लेकिन बिना कैफीन की गोलियां लेने के 10 दिन बाद ग्रे मैटर की मात्रा कैफीन लेने की अवधि के मुकाबले बढ़ी हुई थी।
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यह अंतर विशेष रूप से याददाश्त से जुड़े दिमागी हिस्से में उल्लेखनीय था।
लेकिन शोधकर्ता इन परिणामों को मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला ना मान कर बस कैफीन की सोच-समझ को प्रभावित करने की क्षमता को साबित करने वाला लिखते है जो कैफीन छोड़ते ही पहले जैसे हो जाती है।
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