नियमित एस्पिरिन (Aspirin) दवा लेने से कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal cancer) के जोखिम में कमी आ सकती है।
हालांकि, कोलोरेक्टल कैंसर में एस्पिरिन दवा केवल खराब लाइफस्टाइल वालों के लिए फायदेमंद मिली है।
यह ताज़ा जानकारी यूएसए के कई स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत विशेषज्ञों की एक संयुक्त स्टडी से मिली है।
बता दें कि कोलोरेक्टल कैंसर कोलन (बड़ी आंत) या मलाशय को प्रभावित करने वाला कैंसर है।
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यह दुनिया भर में कैंसर के सबसे आम प्रकारों में से एक है, जो गंभीर स्वास्थ्य हानि और मौत का कारण बन सकता है।
कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है। इसके ज़्यादातर मामले 50 साल से ऊपर वालों में मिले है।
कम फल-सब्जियों खाना, देर तक बैठना, मोटापा, ज्यादा स्मोकिंग, शराब और मांस से कोलोरेक्टल कैंसर होता है।
ताज़ा जानकारी के लिए, विशेषज्ञों ने एक विशाल स्टडी में शामिल 107,655 इंसानों के हेल्थ डेटा का विश्लेषण किया था।
30 सालों तक उन्होंने नियमित एस्पिरिन लेने या न लेने वाले 50 वर्षीय पुरुषों और महिलाओं में कोलोरेक्टल कैंसर की तुलना की।
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नियमित एस्पिरिन को प्रति सप्ताह 325 mg या प्रतिदिन 81 mg की गोली के रूप में परिभाषित किया गया था।
10 सालों में नियमित एस्पिरिन लेने वालों में कोलोरेक्टल कैंसर की घटना 2%, जबकि न लेने वालों में 3% थी।
एस्पिरिन लेने का सर्वाधिक लाभ बहुत ही खराब लाइफस्टाइल जी रहे पुरुषों और महिलाओं में देखा गया।
सबसे खराब लाइफस्टाइल वालों में नियमित एस्पिरिन न लेने पर कोलोरेक्टल कैंसर की 3.4% संभावना थी।
लेकिन नियमित रूप से एस्पिरिन लेने पर उन्हें कोलोरेक्टल कैंसर होने की 2.12% संभावना थी।
उनके विपरीत, बेहतर लाइफस्टाइल में नियमित एस्पिरिन लेने या न लेने से कोलोरेक्टल कैंसर की दर क्रमश 1.5% और 1.6% थी।
क्योंकि स्वस्थ लाइफस्टाइल से कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम कम होता है, इसलिए एस्पिरिन लेने से कम लाभ देखे गए।
ऐसे में डॉक्टरों को कम स्वस्थ लाइफस्टाइल वाले रोगियों को ही एस्पिरिन लेने की सिफारिश करनी चाहिए।
पिछले स्टडीज के अनुसार, एस्पिरिन दवा कैंसर विकास बढ़ाने वाले प्रो-इंफ्लेमेटरी प्रोटीन के निर्माण को कम कर सकती है।
इसके अलावा, एस्पिरिन दवा संभवतः कई और तरीकों के माध्यम से भी कोलोरेक्टल कैंसर को रोकती है।
हालांकि, पीड़ितों को डॉक्टरी परामर्श के बाद ही इसकी उचित मात्रा और इस्तेमाल के बारे में सोचना चाहिए।
इस बारे में और जानकारी JAMA Oncology में छपी स्टडी से मिल सकती है।