मोटापा (Obesity) कई गंभीर रोगों के पनपने की जड़ है। हालांकि, लोग इसे आम समस्या ही मानते है।
अब यूके के वैज्ञानिकों ने मोटापे से COVID-19 वैक्सीन (Vaccines) के असर में भी कमी पाई है।
उन्हें सामान्य वजन वालों के मुक़ाबले मोटापा पीड़ितों में COVID-19 वैक्सीन की सुरक्षा तेजी से घटती मिली है।
यह ताज़ा जानकारी कैम्ब्रिज और एडिनबर्ग यूनिवर्सिटीज़ के वैज्ञानिकों ने नेचर मेडिसिन जर्नल में दी है।
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उन्होंने मोटापा पीड़ितों को मजबूत इम्यूनिटी (Immunity) के लिए अधिक बूस्टर डोज़ लगवाने की सलाह भी दी है।
अभी तक COVID-19 वैक्सीन सभी इंसानों की कोरोनावायरस से जान बचाने में अत्यधिक प्रभावी मिली है।
हालांकि, मोटापा पीड़ितों में वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी कम और गंभीर कोरोना का ख़तरा ज़्यादा देखा गया है।
इस बारे में पिछली रिसर्च कोई स्पष्ट कारण नहीं बता पाई थी। इसलिए, वैज्ञानिक टीम ने अब और खोजबीन की है।
उन्होंने 35 लाख लोगों के स्वास्थ्य, COVID-19 वैक्सीन के असर, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर पर नज़र रखी।
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पता चला कि सामान्य वज़न वालों की तुलना में मोटापा पीड़ितों को गंभीर COVID-19 का 76% अधिक जोखिम था।
यही नहीं, कम मोटापे और वज़न वालों के संक्रमित होने के ख़तरे में भी मामूली वृद्धि देखी गई।
दूसरे टीके के बाद गंभीर मोटापे वालों में कोरोनावायरस के विरुद्ध बनी एंटीबॉडी सामान्य वजन वालों जितनी ही मिली।
लेकिन कुछ समय बाद मोटापा ग्रस्त लोगों में वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी की क्षमता घटकर आधी रह गई थी।
टीम के अनुसार, गंभीर मोटापे वालों की एंटीबॉडी SARS-CoV-2 वायरस को बेअसर करने में कम प्रभावी थी।
ऐसा वायरस को बांधने में एंटीबॉडी की घटी हुई ताकत से पैदा अक्षमता के चलते संभव जाना गया।
बूस्टर डोज़ से वायरस बेअसर करने वाली एंटीबॉडी ताकत सामान्य वजन और मोटापा पीड़ितों में फिर से बहाल हो गई।
लेकिन यह ताकत गंभीर मोटापे वालों में 15 सप्ताह बाद दोबारा तेजी से घट गई, जिससे उन्हें संक्रमण का अधिक खतरा हो गया।
साफ़ था कि कोरोना टीके मोटापा पीडितों पर भी असरदार हैं, लेकिन समस्या के कारण सुरक्षा लंबे समय तक टिकती नहीं है।
दुनिया भर में मोटापे की अधिकता के कारण पीड़ितों को COVID-19 से बचाने के लिए लगातार अधिक बूस्टर डोज़ की आवश्यकता है।
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