अनियमित दिल की धड़कन, जिसे चिकित्सा जगत में एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial fibrillation) कहा जाता है, युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रही है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित 35 से 84 वर्ष की आयु के दो लाख इंसानों पर आधारित एक अध्ययन में एट्रियल फाइब्रिलेशन के चलते हृदय रोग से हुई मौतों में बुजुर्गों के बजाए युवाओं की संख्या अधिक पाई गई है।
देखा गया कि 35 से 64 वर्ष के इंसानों में प्रति वर्ष मृत्यु दर लगभग आठ फीसदी थी, जबकि 65 से 84 के बुजुर्गों में ऐसा सिर्फ तीन फीसदी हुआ।
हालांकि, इससे यह साबित नहीं हुआ कि अनियमित दिल धड़कना अधिक मौतों का कारण है। सिर्फ इतना पता चला कि यह समस्या मृत्यु दर वृद्धि में योगदान दे सकती है।
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अस्पष्टता की वजह अध्ययन में इस्तेमाल इंसानों के स्वास्थ्य और इलाज संबंधी आंकड़ों की कमी बताई गई है।
फिर भी, विशेषज्ञ 35 से 64 आयु वर्ग के युवा वयस्कों के लिए एट्रियल फाइब्रिलेशन से संबंधित बढ़ती मृत्यु दर को चिंताजनक मानते है।
एट्रियल फाइब्रिलेशन से रक्त के थक्के, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर और अन्य हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती है।
पहले इसे मुख्य रूप से बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन वर्तमान में 30 की आयु वालों में ज्यादा मामले बढ़े है।
ऐसे में विशेषज्ञ एट्रियल फाइब्रिलेशन को एक लाइफस्टाइल संबंधित समस्या मानते है।
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इससे जुड़े लाइफस्टाइल बदलाव में सामान्य ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखना, स्मोकिंग छोड़ना, नियमित एक्सरसाइज, स्वस्थ आहार, कम शराब पीना और वजन नियंत्रित रखना शामिल है।
साथ ही, इस बीमारी का शीघ्र पता लगाने और दवाओं या चिकित्सा प्रक्रियाओं की मदद से खून के थक्कों को रोकना और हृदय गति को नियंत्रित करना भी जोखिम कारकों को दूर करने के लिए जरूरी है।