पिछले कुछ समय से कोरोना महामारी के प्रभावों में भले ही कमी आई हो और भारत में Covid-19 से होने वाली मौतों में महत्वपूर्ण गिरावट देखी भी गई, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation – WHO) इंसानों की पूर्ण स्थाई सुरक्षा के बारे में अभी भी आशंकित है।
विशेषतय यूरोपीय क्षेत्र की मृत्यु दर में आ रही गिरावट को संगठन द्वारा महामारी से सुरक्षित होने की एक ‘झूठी भावना’ कहकर चेताया गया है।
“हम जो संख्या देख रहें है वो अभी भी बहुत ज्यादा है। दो दिन पहले ही, यूरोपीय क्षेत्र के 40 देशों ने 24 घंटे में 3610 मौतों की पुष्टि की थी। इस समय, इन देशों का एक बड़ा हिस्सा वायरस से असुरक्षित है। अभी यह वैक्सीन की उम्मीद और सुरक्षा की झूठी भावना के बीच सिर्फ एक पतली रेखा है,” डब्लूएचओ यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक, हेंस क्लूग ने कहा।
क्लूग ने एक ऑनलाइन प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि हमें गिरवाट और संक्रमण से जुड़े रुझानों को सावधानी से देखने की जरूरत है और अंधाधुंध फैसलों से बचना है।
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“बार-बार हमने देखा है कि देश फिर से तेजी के साथ खुल रहे है और कड़ी मेहनत से कमाए फायदों को गंवा रहे है। सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों के फैसले को महामारी विज्ञान के मूल्यांकन और स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता के आधार पर प्राप्त आंकड़ों के साथ जोड़ने के बाद ही लगाए प्रतिबंधों को हटाया जाए। मानदंड को साक्ष्य-आधारित होना चाहिए, ना कि दिखने वाली प्रगति के आधार पर,” उनका कहना था।
उल्लेखनीय है कि जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार विश्व में कोरोनावायरस के मामले 107.7 मिलियन तक हो गए है, जिनमें 2.36 मिलियन से ज्यादा की मृत्यु दर्ज है।
अमेरिका अभी भी महामारी से हुई मौतों में सबसे ज्यादा प्रभवित देश है। इसके बाद ब्राजील, मेक्सिको और चौथे स्थान पर भारत है।
कई देशों में देखे गए नए वेरिएंट्स के बारे में उन्होंने विशेष रूप से चिंता जाहिर की।
क्लूग के अनुसार, सभी तरह के नए कोरोना वेरिएंट्स के उन्मूलन के लिए सोचे-समझे निर्णय लेना ही किसी भी वैक्सीन की प्रभावशीलता के लिए आवश्यक शर्त है।
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37 देशों में से 29 देशों में चल रहे टीकाकरण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह वर्तमान टीकाकरण वायरस के खिलाफ यूरोपीय प्रतिक्रिया का एक छोटे सा हिस्सा है। 7.8 मिलियन लोगों को टीका लगना मतलब जनसंख्या के केवल 1.5 प्रतिशत हिस्से तक ही वैक्सीन की पहुंच।
क्षेत्र में वैक्सीन वितरण की बढ़ती असमानता को संबोधित करते हुए यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक ने अमीर और गरीब देशों के बीच विभाजन को दर्शाया और चेतावनी दी कि इससे महामारी खत्म करने के प्रयासों पर उल्टा असर होगा।
“वायरस जितनी देर तक टिका रहेगा, खतरनाक म्यूटेशन का खतरा उतना ही अधिक होगा। इसलिए समानरूप से वैक्सीन तक पहुँच ही हम सभी पर महामारी के प्रभाव को कम कर सकती है, न कि कुछ को,” उनका मानना था।
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