एक नई स्टडी ने वर्कप्लेस (Workplace) पर काम के ग़लत तौर-तरीक़ों से सेहत को नुकसान बताया है।
स्टडी ने ऑफिस या फैक्ट्री में भेदभाव (Discrimination) के शिकार इंसानों को हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure) का अधिक ख़तरा पाया है।
कार्यस्थल भेदभाव में व्यक्तिगत कारणों से ख़राब व्यवहार या अनुचित परिस्थितियों में काम करवाना शामिल है।
यह स्टडी हाल ही में जर्नल ऑफ़ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित हुई है।
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ग़ौरतलब है कि हाई बीपी या हाइपरटेंशन जानलेवा हृदय रोगों का एक प्रमुख कारण है।
नस्लवाद या अन्य भेदभाव से भरा व्यवहार दिल के लिए हानिकारक पाया गया है।
ताज़ा जानकारी 1,246 वयस्कों के स्वास्थ्य और वर्कप्लेस अनुभवों पर आधारित है।
बता दें कि स्टडी की शुरुआत में सभी व्यस्क हाई बीपी से मुक्त थे।
लगभग आठ वर्षों तक चली स्टडी के बाद 319 वयस्कों को हाई बीपी की समस्या हुई।
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वर्कप्लेस भेदभाव झेलने वालों को हाई बीपी होने की संभावना 22% अधिक थी।
ज़्यादा भेदभाव महसूस करने वालों को उनके साथियों की तुलना में हाई बीपी की संभावना 54% अधिक थी।
देर तक काम करने से स्ट्रोक का डर
इस स्टडी से पहले एसोसिएशन की पत्रिका स्ट्रोक ने वर्कप्लेस पर देर तक काम करने से स्ट्रोक का ख़तरा भी बताया था।
यह ख़तरा एक दशक या अधिक समय तक लंबे ‘वर्किंग ऑवर्स’ का बोझ झेलने वाले 50 वर्ष से कम के इंसानों को अधिक था।
ऑफिस या फैक्ट्री में देर तक काम करने वालों को स्ट्रोक पड़ने की आशंका 29% अधिक थी।
10 साल या अधिक समय तक लंबे ‘वर्किंग ऑवर्स’ झेलने वालों में स्ट्रोक का 45% अधिक ख़तरा था।
इसके पीछे तनाव को दोषी माना गया था। तनाव से हाई बीपी का ख़तरा बना रहता है।
हाई बीपी से रक्त के थक्के बनते है जो मस्तिष्क में जाकर स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ा देते है।