Work pressure increases cardiovascular disease: काम का तनाव, नींद संबंधी विकार और थकान जैसी समस्याएं हार्ट अटैक और स्ट्रोक को विकसित कर सकती है, यह कहना है एक नई स्टडी का।
स्टडी के अनुसार, पुरुषों की अपेक्षा कामकाजी महिलाओं की सेहत को ये बीमारियां अधिक तेजी से प्रभावित करती है।
गौरतलब है कि अभी तक डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता को ही हृदय रोग करने वाली समस्याएं माना जाता था।
इस विषय में ज्यूरिख यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के खोजकर्ताओं को साल 2007, 2012 और 2017 के स्विस स्वास्थ्य सर्वेक्षण से मिले 22,000 पुरुषों और महिलाओं के आंकड़ों की तुलना से पता चला।
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उन्होंने कई महिलाओं में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के लिए जिम्मेवार गैर-पारंपरिक जोखिम कारणों में खतरनाक वृद्धि दर्ज की।
यह वृद्धि साल 2007 में 38 प्रतिशत फुल-टाइम जॉब करने वाली महिलाओं के मुकाबले साल 2017 की 44 प्रतिशत में बढ़ी हुई मिली।
स्टडी में देखा गया कि जॉब के तनाव की रिपोर्ट करने वाले पुरुषों और महिलाओं दोनों की संख्या साल 2012 में 59 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 66 प्रतिशत हो गई।
थकावट और कमजोरी महसूस करने वालों की सूचना 23 प्रतिशत से बढ़कर 29 प्रतिशत हो गई। लेकिन, महिलाओं में यह 33 प्रतिशत और पुरुषों में 26 प्रतिशत बताई गई।
इसी अवधि में, नींद संबंधी विकारों वालों की संख्या 24 प्रतिशत से बढ़कर 29 प्रतिशत हो गई। साथ ही, गंभीर नींद संबंधी विकार भी पुरुषों (5 प्रतिशत) की तुलना में महिलाओं (8 प्रतिशत) में अधिक तेजी से बढ़ते पाए गए।
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हालांकि, स्टडी में यह भी पाया गया कि कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के विकास के लिए मोटापा, डायबिटीज जैसे पारंपरिक जोखिम कारक उसी समय अवधि में स्थिर रहे थे।
एक चौथाई से अधिक (27 प्रतिशत) इंसान हाई ब्लड प्रेशर से, 18 प्रतिशत बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल से और 5 प्रतिशत डायबिटीज से पीड़ित थे।
मोटापे की दर बढ़कर 11 प्रतिशत हो गई, लेकिन धूम्रपान लगभग साढ़े दस से घटकर साढ़े नौ सिगरेट प्रतिदिन हो गया। हालांकि, दोनों तरह के असर पुरुषों में अधिक प्रचलित थे।
ज्यूरिख के खोजकर्ताओं ने बताया कि पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा धूम्रपान करने और मोटे होने की संभावना अधिक थी, तो भी फुल-टाइम जॉब करने वाली महिलाओं में दिल के दौरे और स्ट्रोक बढ़ाने वाले कार्य के तनाव, नींद संबंधी विकार, थकावट और कमजोरी जैसी समस्याओं में बड़ी वृद्धि दिखाई दी।
यूरोपीय स्ट्रोक संगठन (ईएसओ) सम्मेलन में प्रस्तुत इस स्टडी के खोजकर्ता, भविष्य में स्त्री-पुरुष असमानता के इस अंतर का पता लगाना चाहते है।
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