Widespread pain is associated with dementia: शरीर में ज्यादा दर्द रहना डिमेंशिया और स्ट्रोक के अधिक खतरे से जुड़ा हुआ होता है, ऐसा एक स्टडी में देखा गया है।
अल्जाइमर रोग से संबंधित डिमेंशिया एक भूलने की बीमारी है, जो मोटापे या डायबिटीज पीड़ितों को स्ट्रोक के कारण सबसे ज्यादा होती है।
स्टडी करने वाले चीन की चोंगकिंग मेडिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों थे।
उन्होंने नियमित रूप से शरीर के कई हिस्सों में दर्द का अनुभव करने वालों में मानसिक विकार अल्जाइमर होने की 47 प्रतिशत और स्ट्रोक होने की 29 प्रतिशत अधिक संभावना देखी।
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ऐसा लगभग 2,500 अमेरिकियों के स्वास्थ्य आंकड़ों की जाँच से पता चला।
साल 1990 और 1994 के बीच उनके बॉडी टेस्ट, लैब टेस्ट और पूरे शरीर में होने वाले दर्द का आकलन करने के बाद इन बीमारियों का खतरा सामने आया।
दर्द के आधार पर स्टडी किए गए लोगों से पता चला कि सात में से लगभग एक में दर्द की अधिकता थी।
दर्दीले हिस्सों में शामिल कमर के ऊपर और नीचे, शरीर के दोनों ओर, सिर, रीढ़ की हड्डी और पसलियों में एक ही समय में दर्द और अकड़ाहट का अनुभव होता था।
इसके बाद, उनके दिमागी कुशलता में गिरावट, क्लिनिकल डिमेंशिया या पहले स्ट्रोक के संकेतों की लगातार निगरानी की गई थी।
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परिणामों में पाया गया कि पूरे शरीर में दर्द की अधिकता वालों को किसी भी प्रकार के डिमेंशिया या ऐसे मानसिक विकार विकसित होने की संभावना 43 प्रतिशत ज्यादा थी।
इसके अलावा, दर्द वालों को स्वस्थ इंसानों के मुकाबले अल्जाइमर रोग की 47 प्रतिशत और स्ट्रोक होने की 29 प्रतिशत अधिक संभावना थी।
वैज्ञानिकों ने दर्द की अधिकता को जोड़ों, हड्डियों और मांसपेशियों से जुड़े विकारों को दर्शाने वाला बताया।
उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि व्यापक दर्द सभी कारणों से होने वाले डिमेंशिया, अल्जाइमर रोग और स्ट्रोक के लिए एक जोखिम कारक हो सकता है। यह जोखिम किसी भी उम्र, स्थान, व्यक्ति, स्वास्थ्य और जीवनशैली से विकसित हो सकता है।
स्टडी को विस्तार से रीजनल एनेस्थीसिया एंड पेन मेडिसिन जर्नल में पढ़ा जा सकता है।