एक घंटे पहले नींद से जागना गंभीर डिप्रेशन (Depression) को 23 फीसदी तक कम कर सकता है, ऐसा एक अमेरिकी स्टडी का कहना है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर और ब्रॉड इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों को आठ लाख से ज्यादा इंसानों की जांच पर पता चला कि एक निश्चित समय पर सोने की प्रवृत्ति डिप्रेशन को प्रभावित करती है।
जामा साइकेट्री पत्रिका में प्रकाशित मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले परिवर्तन से जुड़ी यह स्टडी अपनी तरह का प्रथम प्रयास बताया गया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, महामारी ने हमारे सोने के समय को गड़बड़ा दिया है। अक्सर लोग देर रात तक जागते है जो मानसिक सेहत के लिए ठीक नहीं है।
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अगर हम एक घंटे पहले भी सोना शुरू करें तो भी डिप्रेशन के जोखिम को काफी कम कर सकते है।
पिछले अध्ययनों से भी सामने आया था कि रात में देर तक जागने वालों को, सुबह जल्दी उठने वालों की अपेक्षा, डिप्रेशन का खतरा दुगुना होता है।
यह स्पष्ट रूप से समझने के लिए कि क्या जल्दी सोने जाना वास्तव में डिप्रेशन से बचा सकता है, विशेषज्ञों ने इंसानों के जीवन से संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण किया।
उन्होंने पाया कि एक निश्चित समय पर नींद आने और उठने की प्रवृत्ति शरीर में मौजूद जीन से प्रभावित होती है, जो डिप्रेशन जोखिम को भी कम करते है।
विश्लेषण में प्रत्येक एक घंटे पहले सोने या उठने से गंभीर डिप्रेशन होने का खतरा 23 फीसदी कम पाया गया।
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यानी आमतौर पर सुबह 1 बजे सोने वालों को आधी रात को सोना चाहिए। इससे से वो अपने जोखिम को 23 फीसदी तक कम कर सकते है।
ऐसे इंसान अगर रात 11 बजे सोने जाएं तो उनका डिप्रेशन लगभग 40 फीसदी तक कम हो सकता है।
हालांकि, स्टडी से यह स्पष्ट नहीं हुआ कि पहले से ही जल्दी उठने वालों को भी क्या और जल्दी उठने से लाभ हो सकता है?
विशेषज्ञों की सलाह थी कि नींद के समय में बदलाव के लिए दिन में तेज रोशनी में काम करें और रात को कमरे में अंधेरा रखें।
शाम को इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का प्रकाश मध्यम रखें और उनका इस्तेमाल कम करें।