बच्चों में COVID-19 संक्रमण रोकने के लिए स्कूलों में कक्षाओं का हवादार होना जरूरी है।
इम्पीरियल कॉलेज लंदन के डॉक्टरों के अनुसार, कक्षाओं में कोरोना वायरस (coronavirus) फैलने के जोखिम को कम करने के लिए स्कूल वेंटिलेशन (ventilation) का उपयोग कैसे कर सकते है, इस बारे में सरकार की ओर से दिशानिर्देश देने की तत्काल आवश्यकता है।
रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडिसिन की पत्रिका द्वारा प्रकाशित एक टिप्पणी में लेखकों का कहना है कि कक्षाओं में हवा की गुणवत्ता में सुधार करना उतना ही अहम होना चाहिए जितना कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने और हाथ धोने के बारे में सरकारी सलाह का पालन करना।
अभी तक हुए अध्ययनों में देखा गया है कि बिना वेंटिलेशन के हवा में वायरस फैलाने वाली छोटी बूंदों की संख्या को आधा होने में लगभग 4 मिनट लगते है।
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लेकिन एक दरवाजे और खुली खिड़की वाले कमरे में इनकी संख्या 30 सेकंड के बाद ही आधी हो जाती है।
ऐसे में कक्षाओं के बेहतर हवादार कमरें श्वसन कणों को पतला और फ़िल्टर करके संक्रमण कम करने में प्रभावी होंगे।
इस धारणा को समझाने के लिए लेखक एयरलाइन इंडस्ट्री का उदाहरण देते है, जहां किसी उड़ान में कोरोना वायरस लगने का खतरा ऑफिस या क्लास रूम से कम है।
ऐसा उनकी योजना में यात्रियों का परीक्षण, फेस कवरिंग, स्वच्छता उपायों के साथ ताजी और उच्च दक्षता पार्टिकुलेट एयर (High-Efficiency Particulate Air – HEPA) फिल्टर के माध्यम से उत्पन्न पुन: उपयोग हवा के मिश्रण को प्रसारित करके स्वच्छ हवा बनाए रखने से है।
इस प्रकार का एयर फिल्टर कम से कम 99.97% धूल, पोलन, मोल्ड, बैक्टीरिया और 0.3 माइक्रोन (µm) के आकार के वायु कणों को हटा सकता है।
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लेकिन HEPA फिल्ट्रेशन न होने की स्थिति में कोरोना टेस्टिंग के साथ-साथ दरवाजे और खिड़कियों को खुले रखना ही व्यावहारिक रूप से सर्वोत्तम तरीका होगा।