Ultra-processed foods risk: एक नई स्टडी ने बाजार के खान-पान से Type 2 diabetes वालों को खतरा बताया है।
स्टडी ने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड सेवन से डायबिटीज वालों की ब्लड शुगर (Blood sugar) में जबरदस्त उछाल पाया है।
विशेषज्ञों ने एक बार खाए गए चिप्स या स्वीट ड्रिंक्स जैसे जंक फ़ूड से उनकी शुगर में जानलेवा वृद्धि देखी है।
टेक्सास यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की यह स्टडी जर्नल ऑफ़ द एकेडमी ऑफ़ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स में छपी थी।
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नतीजों में उन्होंने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड में मिले एडिटिव्स को चीनी और नमक से भी ज़्यादा घातक बताया है।
ये एडिटिव्स ऐसे केमिकल्स होते है जो पैकेट या बोतलबंद खाने-पीने को रंग, गंध, स्वाद आदि देते है।
टीम ने बताया कि ज़्यादा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड के सेवन से कुछ महीनों में ही ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।
उन्होंने आहार में कम से कम प्रोसेस्ड या अनप्रोसेस्ड फ़ूड लेने वाले मरीजों की शुगर कंट्रोल में पाई।
स्टडी में एक क्लिनिकल ट्रायल में शामिल टाइप 2 डायबिटीज के 273 मरीजों का डेटा इस्तेमाल हुआ था।
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प्रत्येक मरीज ने 24-घंटे का खान-पान बताते हुए दो बार HbA1C मापने के लिए ब्लड सैंपल दिए थे।
इसके द्वारा विशेषज्ञ टीम उन मरीजों के ब्लड शुगर कंट्रोल लेवल को मापने में सक्षम थी।
पता चला कि जिन मरीजों ने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड या मीठे ड्रिंक्स लिए थे, उनका शुगर लेवल खराब था।
जबकि फाइबर से भरपूर या अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड ना खाने वालों का ब्लड शुगर कंट्रोल उनसे बेहतर था।
बाजार में उपलब्ध अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड और ड्रिंक्स में आमतौर पर अतिरिक्त चीनी और नमक अधिक होता है।
लेकिन विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला कि A1C में वृद्धि केवल अतिरिक्त चीनी और सोडियम के कारण नहीं थी।
प्रोडक्ट्स में सिंथेटिक स्वाद, मिलाए गए रंग, कृत्रिम मिठास और अन्य केमिकल भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते थे।
हालिया अध्ययनों ने भी ज्यादा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड खाने से हृदय रोग, मोटापा, नींद विकार, चिंता, डिप्रेशन व जल्द मौत अधिक बताई है।
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