Too much free time increases stress: अक्सर लोग बहुत व्यस्त होने की शिकायत करते है और स़ुस्ताने के लिए अधिक समय की इच्छा करते हैं।
लेकिन यकीन मानिए, अधिक समय तक खाली रहना भी हमेशा बेहतर नहीं होता, ये मानना है रिसर्चर्स का।
खाली समय मिलना और अच्छा लगना केवल एक लिमिट तक ही प्रभावी रहता है। उसके बाद बहुत अधिक खाली समय भी परेशान कर सकता है।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित शोध के अनुसार, रिलैक्स रहने के लिए अत्याधिक खाली समय मिलना इंसान में तनाव और खराब महसूस करने की भावना को बढ़ा देता है।
- Advertisement -
व्हार्टन स्कूल के रिसर्चर्स ने एक दिन में कामकाजी घंटों की कमी होने से उत्पन्न असर को कई विश्लेषणों के बाद उजागर किया।
उन्होंने कई हजार अमेरिकियों पर हुए समय के उपयोग और कार्य से संबंधित एक सर्वे और स्टडी का सहारा लेते हुए मालूम किया कि 24 घंटों के दौरान सुस्ताने के लिए मिलने वाला खाली समय जैसे-जैसे बढ़ता गया, वैसे-वैसे शारीरिक और मानसिक शांति भी बढ़ती गई।
हालांकि, यह असर लगभग दो घंटे तक ही छाया रहा और पांच घंटे के बाद तो ऐसी भावना में गिरावट आनी शुरू हो गई।
इस बारे में और जांच करने के लिए उन्होंने 6,000 से अधिक इंसानों को दो ऑनलाइन प्रयोग में शामिल किया।
एक दिन में 15 मिनट और सात घंटे तक मौज-मस्ती करने वालों ने साढ़े तीन घंटे तक एन्जॉय करने वालों के मुकाबले कम बेहतर महसूस करने की सूचना दी।
- Advertisement -
यह भी देखा गया कि अधिक समय खाली गुजारने वालों ने बेकार की गतिविधियां करने पर कम अच्छा महसूस किया। हालांकि, प्रोडक्टिव एक्टिविटीज में शामिल होने पर उन्हें भी साढ़े तीन घंटे वालों के समान ही मजा आया।
निष्कर्ष बताते हैं कि दिनभर खाली रहकर समय गुजारने वाला कुछ समय बाद ही दुखी हो सकता है। इसके बजाय लोगों को अपने मनचाहे तरीके से सीमित समय के लिए सुस्ताने का प्रयास करना चाहिए।
रिसर्च जर्नल ऑफ पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित हुई थी।
Also Read: तनाव कम करने में प्रकृति है सर्वोत्तम औषधि, वैज्ञानिकों ने माना