Booster dose against omicron variant: दुनिया को ओमिक्रॉन वेरिएंट से बचाने के लिए कोरोनावायरस टीके की तीसरी खुराक यानी बूस्टर डोज़ (Booster dose) लगाना ज़रूरी है, ये कहना है एक स्टडी का।
स्टडी में एमआरएनए वैक्सीन का इस्तेमाल अल्फा, डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमितों की अस्पताल में भर्ती रोकने में अत्यधिक प्रभावी मिला है।
हालांकि, ओमिक्रॉन के ख़िलाफ़ वैक्सीन की ज़ोरदार सुरक्षा प्रदान करने में दो की अपेक्षा तीन डोज़ की आवश्यकता भी कही गई है।
ये जानकारी बीएमजे पत्रिका में एक विशाल अमेरिकी स्टडी के हवाले से दी गई है।
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स्टडी के अनुसार, भले ही अल्फा और डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन से अस्पताल में भर्ती रोगियों की बीमारी कम गंभीर है, लेकिन उनकी बीमारी बिगड़ने और मौत होने का जोख़िम अभी भी है।
ऐसे में नए टीकों के विकास हेतु COVID-19 वेरिएंट और उनके विरुद्ध टीकों की प्रभावशीलता को समझना अत्यंत आवश्यक है।
दरअसल, प्रारंभिक जानकारियों में पहले के वेरिएंट की अपेक्षा ओमिक्रॉन संक्रमण और अस्पताल में भर्ती के ख़िलाफ़ टीकों के असर को कम आंका गया था।
ऐसा ओमीक्रोन के मरीज़ों में बीमारी की गंभीरता और मौत पर टीकों की प्रभावशीलता के बारे में बहुत कम जानकारी के कारण हुआ।
जानकारी के इस अंतर को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अल्फा, डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित अस्पताल में भर्ती मरीज़ों की गंभीरता का आकलन किया और उन पर एमआरएनए वैक्सीन (फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना) की दो से तीन ख़ुराक के असर की तुलना की।
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इसके लिए मार्च 2021 और जनवरी 2022 के बीच पूरे संयुक्त राज्य के 21 अस्पतालों में भर्ती 11,690 वयस्कों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड खंगाले गए। इनमें 5728 कोरोना के और 5962 बिना वायरस संक्रमण के मामले मिले।
अस्पताल में भर्ती के समय उनके वेरिएंट पर वैक्सीन का असर और बीमारी की गंभीरता मापी गई।
पता चला कि अल्फा और डेल्टा वेरिएंट संक्रमितों को अस्पताल जाने से रोकने में लगी वैक्सीन की दो ख़ुराक (क्रमश: 85% और 85%) ओमीक्रोन पर कम (65%) असरदार थी।
हालांकि, अल्फा और डेल्टा वेरिएंट की दो डोज़ के मुक़ाबले ओमिक्रॉन वेरिएंट के विरुद्ध तीन डोज़ से 86 फीसदी प्रभावशीलता हासिल करना संभव हो पाया।
इसके अतिरिक्त, कोविड-19 से अस्पताल में भर्ती हुए बिना वैक्सीन लगवाए संक्रमितों में डेल्टा सबसे गंभीर बीमारी से जुड़ा था, इसके बाद अल्फा और फिर ओमिक्रॉन वेरिएंट था।
अस्पताल में भर्ती वैक्सीन और बिना वैक्सीन वाले 15% रोगियों में ओमिक्रॉन गंभीर बीमारी और मृत्यु लाया था। उनमें से 7% अस्पताल में मर भी रहे थे।
यही नहीं, अस्पताल में भर्ती वैक्सीन लगवाए रोगियों को सभी वेरिएंट से संक्रमित बिना वैक्सीन वाले रोगियों की तुलना में रोग की गंभीरता काफ़ी कम थी।
विशेषज्ञों ने उनके नतीजों में कुछ गलतियां होने की संभावना से इंकार नहीं किया है, लेकिन इतना तय रहा कि वर्तमान वैक्सीन अल्फा, डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित हुए अस्पताल में भर्ती मरीज़ों को मजबूत सुरक्षा प्रदान करने में समर्थ है।
साथ ही, वर्तमान ओमिक्रॉन वेरिएंट से बचाव के लिए एमआरएनए वैक्सीन की तीसरी डोज़ विश्व भर में बीमारी और मृत्यु दर बढ़ने से रोकने में महत्वपूर्ण है।