विश्व भर में ज्यादा नमक (Salt) खाने के कारण हुई बीमारियों से लाखों लोग हर साल मौत का शिकार होते है, ये कहना है एक रिसर्च का।
हालांकि, खाने के नमक में बदलाव से हर साल होने वाली लाखों मौतों को रोक कर बड़े पैमाने पर वैश्विक स्वास्थ्य लाभ अर्जित किया जा सकता है।
ऑस्ट्रेलिया के जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ द्वारा की गई एक विशाल रिसर्च में साधारण नमक में मौजूद सोडियम क्लोराइड के हिस्से को पोटाशियम क्लोराइड (Potassium Chloride) से बदल कर इस्तेमाल करने से अनगिनत फायदे गिनाए गए है।
रिसर्च करने वालों का मानना है कि घरेलू नमक का ऐसा विकल्प चुनने से स्ट्रोक, दिल के दौरे और मृत्यु दर में काफी कमी आती है।
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न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस रिसर्च में पोटाशियम मिले नमक को खाने से सेहत पर कोई हानिकारक प्रभाव भी सामने नहीं आया।
खाने के नमक में सोडियम का उच्च स्तर और पोटाशियम का निम्न स्तर व्यापक है।
ऐसा नमक हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक, हृदय रोग और समय से पहले मौत के अधिक जोखिम से जुड़ा है। लेकिन सोडियम और पोटाशियम की मात्रा को बदलने से उपरोक्त समस्याओं का निदान संभव है।
रिसर्च से जुड़े विशेषज्ञों को आशा है कि नमक के विकल्प से न केवल लाखों लोगों की शुरुआती मौतों को रोक सकता है, बल्कि उनके मेडिकल खर्चे भी कम हो सकते है।
अपने तर्क की सत्यता परखने के लिए उन्होंने चीन के 600 गांवों में रहने वाले स्ट्रोक या हाई ब्लड प्रेशर के 21,000 वयस्कों को चुना।
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उन गांववालों को पोटाशियम की ज्यादा मात्रा वाला घरेलू नमक इस्तेमाल के लिए दिया गया। अन्य गाँवों के लोग नियमित नमक का ही उपयोग करते रहे।
लगभग पांच वर्षों तक उनकी निगरानी के दौरान, 3,000 से अधिक लोगों को स्ट्रोक आया। लेकिन पोटाशियम मिले नमक का उपयोग करने वालों के स्ट्रोक में 14 प्रतिशत, स्ट्रोक और दिल के दौरे दोनों में 13 प्रतिशत और अकाल मृत्यु में 12 प्रतिशत की कमी आई है।
ऐसे में विशेषज्ञों का सुझाव है कि दुनिया भर के नमक निर्माताओं, खुदरा विक्रेताओं, सरकारों और उपभोक्ताओं को नियमित नमक के बजाय नमक के विकल्प को बढ़ावा देना चाहिए।
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