Avoid Sugar Cravings: एक नई रिसर्च ने हमारे खान-पान और स्वास्थ्य को परस्पर जुड़ा हुआ पाया है।
रिसर्च में मीठा खाने की आदत से डिप्रेशन, डायबिटीज और स्ट्रोक के खतरे में इज़ाफ़ा मिला है।
यह चौंकाने वाली रिसर्च यूके की सरे यूनिवर्सिटी के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने की है।
उन्होंने यूके बायोबैंक के 180,000 इंसानों की खाने-पीने संबंधी आदतों का विश्लेषण किया था।
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उन आदतों के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने तीन तरह के लोगों की कैटेगरी बनाई।
पहली कैटेगरी में मीठे व मांस की बजाए फल और सब्ज़ियाँ पसंद करने वाले स्वास्थ्य प्रेमी थे।
दूसरी कैटेगरी में मांस, मछली, कुछ सब्जियां और मिठाई खाने वाले सर्वाहारी लोग थे।
तीसरी कैटेगरी में फलों-सब्ज़ियों की अपेक्षा मिठाई और स्वीट ड्रिंक्स के शौकीन शामिल थे।
अब विशेषज्ञों की टीम ने यूके बायोबैंक में जमा उनके ब्लड सैंपल की जांच-पड़ताल की।
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उन्होंने सैंपल में मौजूद 2,923 प्रोटीन और 168 मेटाबोलाइट्स से तीनों कैटेगरी की सेहत मापी।
पता चला कि मीठा खाने के शौकीनों को डिप्रेशन होने की संभावना अन्यों की अपेक्षा 31% अधिक थी।
उन्हें अन्य कैटेगरी की तुलना में बीपी, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर, डायबिटीज आदि का भी अधिक खतरा था।
टीम ने मीठा खाने वालों के शरीर में जलन-सूजन दर्शाने वाला सी-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP) ज्यादा पाया।
उनके खून में डायबिटीज व हृदय रोग के ठोस संकेतक हाई ग्लूकोज और खराब लिपिड भी मिले।
लेकिन पहली कैटेगरी वालों को हार्ट फेलियर, किडनी रोग और स्ट्रोक का कम, जबकि दूसरी वालों को मध्यम जोखिम था।
रिसर्च में निरोगी रहने के लिए चीनी से बने बिस्कुट, केक, पेस्ट्री, मिठाई और ड्रिंक्स कम करने की सलाह दी गई।
इस बारे में विस्तृत जानकारी जर्नल ऑफ ट्रांसलेशनल मेडिसिन में प्रकाशित रिसर्च से मिल सकती है।