किसी भी तरह के मक्खन (Butter) की बजाए वनस्पति तेल (Vegetable oil) का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए उत्तम है।
यह दावा किया है 30 वर्षों तक दो लाख से अधिक लोगों के आहार की जांच-पड़ताल करने वाली एक स्टडी ने।
स्टडी में पता चला है कि कम वनस्पति तेलों की जगह ज्यादा मक्खन में बने भोजन से जल्द मौत (Premature death) हो सकती है।
वनस्पति तेलों, खासकर ऑलिव, कैनोला, और सोयाबीन का अधिक इस्तेमाल कैंसर और दिल के रोगों की कम मृत्यु दर से भी जुड़ा था।
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इसके विपरीत, मक्खन के अधिक सेवन से कैंसर और जल्द मौत के बढ़ते जोखिम में वृद्धि थी।
मक्खन और पौधों से मिलने वाले तेल के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर उनमें मौजूद फैटी एसिड थे।
मक्खन सैचुरेटेड फैटी एसिड से भरपूर होता है, जबकि वनस्पति तेलों में पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड अधिक होते हैं।
सैचुरेटेड फैटी एसिड दिल के लिए अनहेल्दी फैट है, जिससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो सकती है।
जांच में मक्खन, मार्जरीन, भोजन या ब्रेड पर लगा स्प्रेडेबल मक्खन, और बेकिंग तथा तलने में इस्तेमाल होने वाला मक्खन हानिकारक था।
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तलने, भूनने, पकाने और सलाद ड्रेसिंग आदि में उपयोग के आधार पर वनस्पति तेलों के सेवन का अनुमान लगाया गया था।
सटीक जानकारी के लिए रिसर्च टीम ने मर चुके लोगों और उनकी मृत्यु के कारणों की भी पहचान की थी।
टीम ने पाया कि सबसे कम मक्खन खाने वालों की तुलना में सर्वाधिक खाने वालों में मरने का जोखिम 15% अधिक था।
इसके विपरीत, सबसे अधिक वनस्पति तेल खाने वालों में, सबसे कम खाने वालों की अपेक्षा, मौत का खतरा 16% कम था।
रोजाना 10 ग्राम मक्खन (एक चम्मच से भी कम) की जगह वनस्पति तेल इस्तेमाल से कैंसर मौतों और कुल मृत्यु दर में 17% की कमी संभव थी।
इस स्टडी की अधिक जानकारी JAMA इंटरनल मेडिसिन से मिल सकती है।