Ultra-processed food: एक नई स्टडी ने बाज़ार में बिकने वाले अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड अधिक खाने वाले युवाओं में डिप्रेशन (Depression) के लक्षण पाए है।
ये लक्षण प्रतिदिन 4 से 5 बार अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स खाने वालों में अधिक होने की जानकारी दी गई है।
इटली के युवाओं पर हुई यह स्टडी न्यूट्रिएंट्स जर्नल में प्रकाशित हुई थी। स्टडी में इटली, ऑस्ट्रेलिया और सऊदी अरब के वैज्ञानिक शामिल थे।
उन्होंने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड से युवाओं के अलावा अन्य लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान की आशंका जताई है।
- Advertisement -
डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ाने में उपरोक्त फ़ूड प्रोडक्ट्स के ख़राब पोषक तत्व और हानिकारक केमिकल्स शामिल होने का अंदेशा है।
हालांकि, पुख़्ता सबूतों के लिए गहन रिसर्च की बात भी कही गई है।
ऐसे फ़ूड प्रोडक्ट्स में कोल्ड ड्रिंक्स, चिप्स, चॉकलेट, आइसक्रीम, पैकेट सूप आदि शामिल होते है।
बता दें कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स के शारीरिक नुकसान तो ज्ञात है लेकिन मानसिक दुष्प्रभावों पर सबूतों की कमी है।
इस बारे में वैज्ञानिकों को दक्षिणी इटली के 596 लड़के-लड़कियों की लाइफस्टाइल और खान-पान से जुड़ी आदतों से पता चला।
- Advertisement -
18 से 35 वर्ष वाले उन युवा वयस्कों में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड की बढ़ी हुई खपत अवसादग्रस्तता के अधिक लक्षण दर्शाती मिली।
जबकि फाइबर और फल-सब्जियों युक्त स्वस्थ भोजन खाने वालों में अवसादग्रस्तता के लक्षण होने की संभावना कम थी।
निष्कर्षों को देखते हुए आगे के अध्ययनों में नर्वस सिस्टम और ब्रेन फंक्शन पर गैर-पोषण संबंधी तत्वों की भूमिका समझी जा सकती है।
Also Read: डिप्रेशन, ख़राब मानसिक स्वास्थ्य से युवाओं में हार्ट अटैक का डर