तनाव (Stress) को दूर करने में यार-दोस्त (Friends) किसी दवा से कम नहीं होते, ऐसा एक स्टडी में देखा गया है।
बेकमैन इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस साइंस एंड टेक्नोलॉजी की एक रिसर्च टीम द्वारा कुछ वृद्ध महिलाओं और लड़कियों की स्टडी से इस धारणा को बल मिला है।
स्टडी में लड़कियों की तुलना में वृद्ध महिलाएं अजनबियों के साथ अधिक प्रभावी ढंग से बातचीत करने में कुशल भी पाई गई।
स्टडी का मुख्य उद्देश्य लड़कियों और बुजुर्ग महिलाओं में दोस्तों से बातचीत और सहयोग से तनाव पैदा करने वाले हार्मोन कोर्टिसोल (Cortisol) पर प्रभाव जानना था।
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टीम में शामिल एक्सपर्ट्स ने देखा कि महिलाएं अपने मिलनसार रवैये से जानकर या अजनबी महिलाओं संग आसानी से घुलमिल जाती है। ऐसे कौशल की युवतियों में कमी देखी गई।
साथ ही, उम्र बढ़ने पर इंसान को सामाजिक जीवन में ज्यादा अच्छी मित्र-मंडली की जरूरत होती है, यह भी सामने आया।
अपनी स्टडी में टीम ने 62 से 79 वर्षीय बुजुर्ग महिलाओं और 18 से 25 वर्ष की लड़कियों को शामिल किया।
एक पहेली हल करने के लिए प्रत्येक को किसी मित्र या अजनबी के साथ जोड़ा गया।
पहेली हल करने में जोड़ीदारों को कम बोलते हुए कार्य को पूरा करना था। कार्य पूरा करने में जिन जोड़ीदारों को अधिक शब्दों की आवश्यकता होगी, उन्हें कम कुशल माना जाएगा, ऐसी शर्त थी।
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टीम ने पाया कि कार्य के दौरान लड़कियों ने अपने सहयोगियों के रूप में मिले जानकर के साथ तो सहजता से बातचीत की, लेकिन अजनबी के साथ संकोच में रही।
दूसरी ओर, बुजुर्ग महिलाओं ने जानकारों और अजनबियों दोनों संग अधिक कुशलता से बातचीत की। इससे पता चला कि बुजुर्ग महिलाओं में मित्रों और अजनबियों संग समान रूप से सामाजिक संबंध बनाने की क्षमता होती है।
टीम ने कार्य के दौरान सभी भाग लेने वालों की लार से तनाव पैदा करने वाले हार्मोन कोर्टिसोल को भी मापा।
उन्होंने पाया कि अजनबी जोड़ीदार के मुकाबले परिचित जोड़ीदार के साथ काम करते हुए सभी महिलाओं में तनाव का स्तर कम था।
ऐसे में एक्सपर्ट्स का निष्कर्ष था कि परिचित साथी और दोस्ती तनाव को कम करते है और यह रिश्ता उम्र के साथ बढ़ता जाता है।
जर्नल ऑफ वीमेन एंड एजिंग पत्रिका में इस विषय के और निष्कर्ष प्रकाशित किए गए।