miRNAs effect on SARS-CoV-2: बुजुर्गों और डायबिटीज वालों को कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है, ऐसा एक रिसर्च से पता चला है।
चीन की नानजिंग यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने उनकी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को शरीर और खून में मिलने वाले माइक्रोआरएनए (miRNAs) के कम स्तर से जुड़ा हुआ पाया है।
माइक्रोआरएनए जीन अभिव्यक्ति नियामकों का एक प्रमुख वर्ग है, जो सूजन और बीमारियों के विरुद्ध प्रतिरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
रिसर्च ने miR-7-5p, miR-24-3p, miR-145-5p और miR-223-3p जैसे चार miRNAs की पहचान की है।
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ये चारों बुजुर्गों और डायबिटीज रोगियों में बहुत कम, लेकिन स्वस्थ लोगों के शरीर में अधिक होते है। ये miRNAs कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) को बढ़ने से रोक सकते है।
इसके लिए, युवाओं के खून से लिया गया miRNAs युक्त सीरम (Serum) वायरस बढ़ोतरी को रोकने में सहायक है, लेकिन बुजर्गों और डायबिटीज वालों में यह निरोधात्मक प्रभाव कम होता है।
हालांकि, एक्सरसाइज करते रहने से SARS-CoV-2 वायरस के प्रति सुरक्षा देने वाले इन miRNAs का स्तर खून में बढ़ता है।
टीम ने रिसर्च में भाग लेने वालों द्वारा आठ सप्ताह की निरंतर एक्सरसाइज के बाद उनके सीरम में चार miRNAs में से तीन में उल्लेखनीय वृद्धि पाई।
उनके खून से लिए गए सीरम ने एस प्रोटीन और कोरोना वायरस रोकने में मजबूती दिखाई।
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इससे यह भी पता चला कि हर दिन वर्कआउट करने से सभी इंसानों को COVID-19 से बचने में मदद मिल सकती है।
सिग्नल ट्रांसडक्शन एंड टार्गेटेड थेरेपी जर्नल में प्रकाशित रिसर्च बताती है कि हमारे शरीर में मौजूद miRNAs कोरोना वायरस को सीधे रोक सकते है।
टीम के पिछले अध्ययनों से भी पता चला है कि मनुष्यों को संक्रमित करने वाले लगभग 89 फीसदी वायरस को मानव miRNAs द्वारा रोका जा सकता है।
रिसर्च से स्पष्ट संकेत मिलते है कि miRNAs वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए आरएनए (RNA) आधारित इम्यून सिस्टम का एक महत्वपूर्ण घटक है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, miRNA फ़ंक्शन की यह नई समझ कोरोना की रोकथाम, निगरानी और उपचार के लिए उपयोगी साबित हो सकती है।