खराब भोजन, घर में ज्यादा सदस्य और वायु प्रदूषण बच्चों के मस्तिष्क पर बुरा असर डालते है।
ये कारण स्कूली उम्र के बच्चों में प्रसवपूर्व और बचपन के विभिन्न जोखिमों तथा न्यूरोसाइकोलॉजिकल विकास के बीच संबंध का विश्लेषण करने के बाद पता चले है।
ऐसे में बच्चों के मस्तिष्क को हानिकारक पेस्टिसाइड और केमिकल युक्त भोजन की बजाए ऑर्गेनिक भोजन (Organic Food) देने से ज्यादा लाभ हो सकता है, ये बताया है बार्सिलोना इंस्टिट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के विशेषज्ञों ने।
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इस संबंध के लिए स्पष्टीकरण देते हुए उनका कहना था कि ऑर्गेनिक भोजन में बौद्धिक विकास और मस्तिष्क कार्य कुशलता के लिए जरूरी फैटी एसिड, विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट होते है, जो केमिकल युक्त फास्ट फूड में नहीं मिलते।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि बचपन के दौरान फास्ट फूड का सेवन, घर में अधिक रहने वालों और सिगरेट-बीड़ी के तंबाकू से निकले धुएं ने बच्चों की बुद्धि को कमजोर कर दिया।
इसके अलावा, घर के अंदर घातक फाइन पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5) के संपर्क में आने से भी उनकी याददाश्त पर असर पड़ा।
अध्ययन में यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, स्पेन, ग्रीस, लिथुआनिया और नॉर्वे के 6 से 11 वर्ष की आयु के लगभग तेरह सौ बच्चों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया।
विशेषज्ञों ने गर्भाशय में ही बच्चों के मस्तिष्क विकास को प्रभावित करने वाले 87 पर्यावरणीय कारणों को जाना। इनमें वायु प्रदूषण, यातायात, शोर, विभिन्न रसायनों और जीवनशैली से जुड़े कारण प्रमुख थे। इसके अलावा, 122 अन्य कारण भी थे।
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अध्ययन का उद्देश्य बच्चों के बौद्धिक स्तर पर इन जोखिमों के प्रभावों का विश्लेषण करना था।
विशेषज्ञों के अनुसार, बचपन में मस्तिष्क पर्यावरणीय रसायनों और अन्य विषाक्त वातावरण के खिलाफ लड़ने के लिए पूरी तरह से विकसित नहीं होता है।
ऐसे दुष्प्रभावों के चलते उम्र बढ़ने पर बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है, जिनसे उनकी बौद्धिक क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य क्षीण होता जाता है।
इस विषय में एनवायरनमेंटल पोल्युशन पत्रिका में विस्तारपूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाई गई है।
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