सोशल मीडिया (social media) और टीवी (television) कोरोना वायरस महामारी (COVID-19) के बारे में सही जानकारी नहीं देते, ऐसा एक नए सर्वे से सामने आया।
यही नहीं, इन दो माध्यमों पर ज्यादा भरोसा करने वालों को COVID-19 के सही तथ्यों की जानकारी भी नहीं होती।
ऐसा अमेरिका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा 25 से 31 मार्च, 2020 के बीच 5,948 लोगो में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला।
सर्वेक्षण में लोगों से कोरोना वायरस के बारे में मिलने वाली खबरों और भरोसेमंद समाचार स्रोतों के बारे में पूछा गया।
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COVID-19 से जुड़े सवालों के अत्यधिक गलत जवाब उन लोगों ने दिए, जो सोशल मीडिया की सूचनाओं पर ज्यादा भरोसा करते थे।
लेकिन जिन उत्तरदाताओं की जानकारी का सबसे विश्वसनीय स्रोत सरकारी हेल्थ वेबसाइटें थीं, उन्होंने अन्यों की तुलना में COVID-19 प्रश्नों के सही उत्तर दिए।
जिनका सबसे विश्वसनीय स्रोत टेलीविजन समाचार थे, उनमें भी प्रश्नों के सही उत्तर देने की संभावना कम थी।
इसके अलावा, जिन्होंने फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया स्त्रोतों को अपना सबसे भरोसेमंद या अतिरिक्त सूचना प्राप्त करने वाला स्रोत बताया, वो भी महामारी (pandemic) से जुड़े सही उत्तर नहीं दे सके।
परिणामों में कोरोना महामारी के विषय में सबसे विश्वसनीय जानकारी देने में सरकारी वेबसाइट का हिस्सा 42.8 फीसदी था। उसके बाद टेलीविजन (27.2 फीसदी) और अस्पतालों से मिलने वाली सूचनाएं (9.3 फीसदी) थी।
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शोधकर्ताओं के अनुसार, लोगों को सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी खबरें कहां से मिलती है, इससे बहुत फर्क पड़ता है। सही जानकारी के बिना महामारी से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन सफलतापूर्वक नहीं हो सकता।
उनके लिए यह देखना बहुत ही चिंताजनक रहा कि जिस कोरोना महामारी से दुनिया भर में लगभग 20 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी है, उससे संबंधित गलत जानकारी कैसे इसके दुष्प्रभाव को और फैला सकती है।
अध्ययन से जुड़े निष्कर्ष करंट मेडिकल रिसर्च एंड ओपिनियन पत्रिका में प्रकाशित हुए।
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