Social isolation and loneliness increase death risk: सामाजिक रूप से अलग-थलग या एकाकी जीवन जी रहे इंसानों की दिल के दौरे (Heart attack) या स्ट्रोक (Stroke) से मौत होने का खतरा 30% तक बढ़ जाता है।
ये कहना है जर्नल ऑफ़ दी अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन का, जिसमें प्रकाशित 4 दशकों से अधिक की रिसर्च पर आधारित विश्लेषण ने इस बात के पुख़्ता सबूत दिए है।
इसके अलावा, सामाजिक संबंध की कमी सभी कारणों से अकाल मृत्यु के बढ़ते जोख़िम सहित अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से भी जुड़ी मिली है।
सामाजिक अलगाव और अकेलेपन से उपजा यह जोख़िम बुजुर्गों और महिलाओं के अतिरिक्त 18 से 22 साल के युवाओं में भी जाना गया है।
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निष्कर्ष बताते हैं कि सामाजिक अलगाव और अकेलापन दिल और दिमाग़ के लिए घातक है, फिर भी इस ओर कम ध्यान दिया जाता है।
खासकर पुरुषों में, सामाजिक जुड़ाव की कमी सभी कारणों से असमय मौत का ख़तरा बढ़ाती है।
इन परिस्थितियों से प्रभावित इंसानों में स्ट्रेस और डिप्रेशन ज़्यादा होता है, जिनसे अन्य बीमारियों के लगने का भी डर पैदा होता है।
स्टडी में सामाजिक अलगाव और अकेलेपन से दिल के दौरे या स्ट्रोक से मृत्यु के जोखिम में क्रमश: 29% और 32% की वृद्धि संभव बताई गई है।
पहले से ही कोरोनरी हार्ट डिजीज या स्ट्रोक पीड़ितों में तो उपरोक्त परिस्थितियों से हालात बदतर होने का पूर्वानुमान है।
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छह साल तक ऐसे इंसानों को देखने के दौरान प्रति माह तीन या उससे कम सामाजिक संपर्क वाले वयस्कों में अधिक स्ट्रोक या दिल के दौरे का जोखिम 40% तक बढ़ने की संभावना जताई गई है।
उपरोक्त परिस्थितियों से बचाव में बुजुर्गों के लिए फिटनेस कार्यक्रमों और मनोरंजक गतिविधियों के साथ-साथ नकारात्मक सोच दूर करने वाली प्रभावी नीतियों को लागू करना महत्वपूर्ण बताया गया है।