धूम्रपान यानी Smoking की लत मानसिक क्षमता (Cognitive decline) में कमी ला सकती है, ऐसा एक स्टडी का कहना है।
नतीजों के आधार पर स्टडी के जांचकर्ताओं ने बढ़ती उम्र में स्मोकिंग छोड़ने की सलाह दी है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की स्टडी में स्मोकिंग के अलावा अन्य लाइफस्टाइल आदतों का भी विश्लेषण किया गया था।
स्मोकिंग मानसिक क्षमता घटाने में एक्सरसाइज, शराब पीने और सामाजिक संपर्क की अपेक्षा ज़्यादा असरदार मिली।
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स्टडी में 14 यूरोपीय देशों के 50 या अधिक आयु के 32,000 पुरुषों व महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया गया था।
10 वर्षों तक चले उनके सर्वेक्षणों में सभी ने अपनी लाइफस्टाइल की विभिन्न आदतों और मानसिक कौशल का ब्योरा दिया।
सभी की याददाश्त और बोलने की क्षमता से जुड़े परीक्षणों के अनुसार उनकी मानसिक कार्यक्षमता का मूल्यांकन किया गया।
जांचकर्ताओं ने स्मोकिंग करने वालों की सोचने-समझने की क्षमता में अन्यों की अपेक्षा तेज गिरावट दर्ज की।
10 वर्षों के दौरान, उनकी मानसिक कार्यक्षमता में स्मोकिंग न करने वालों के मुकाबले 85% तक अधिक कमी जानी गई।
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लेकिन रोज़ाना एक्सरसाइज, कम शराब और सामाजिक मेलजोल बनाए रखने वाले स्मोकर्स के मानसिक कौशल सामान्य नज़र आए।
स्टडी में, स्मोकिंग को उम्र बढ़ने से जुड़े मानसिक कार्य कमज़ोर करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक माना गया।
नतीजों की मानें तो स्मोकिंग न करना स्वस्थ मानसिक क्षंमता बनाए रखने के मामले में सबसे महत्वपूर्ण हो सकता है।
स्मोकिंग छोड़ने में अक्षम लोगों को नियमित एक्सरसाइज, कम शराब और सामाजिक रूप से सक्रिय रहने की सलाह दी गई।
इस बारे में और जानकारी नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित स्टडी से मिल सकती है।
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