कम या ज्यादा सोने (Sleep) से स्वस्थ इंसानों को भी दिल की बीमारी (Heart Disease) होने का खतरा हो सकता है।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के वार्षिक वैज्ञानिक सम्मेलन में प्रस्तुत एक अध्ययन के मुताबिक, रात में बहुत कम या ज्यादा सोने वालों की तुलना में छह से सात घंटे तक सोने वालों में दिल के दौरे या स्ट्रोक से मरने की आशंका कम होती है।
दिल की बीमारी या स्ट्रोक से जुड़े अन्य कारणों को जांचने के बाद भी यह धारणा सही साबित हुई।
इसके लिए रिसर्च दल ने साल 2005 से 2010 तक एक राष्ट्रीय हेल्थ और न्यूट्रिशन सर्वेक्षण में शामिल 14,079 इंसानों के सेहत संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया।
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हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर या स्ट्रोक जैसी घटनाओं के लिए सभी की साढ़े सात साल तक निगरानी की गई।
वैज्ञानिकों ने देखा कि छह घंटे से कम या सात घंटे से अधिक सोने वालों की दिल संबंधी बीमारियों से मौत होने की संभावना अधिक थी।
इसके अलावा, शरीर में सूजन होने पर लिवर में बढ़ने वाले सीआरपी प्रोटीन का स्तर भी ऐसे इंसानों में बहुत अधिक था।
रिसर्च से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार, न केवल नींद की मात्रा बल्कि नींद की गहराई और गुणवत्ता भी दिल की अच्छी सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
सिर्फ सात घंटे बिस्तर पर पड़े रहने का मतलब यह नहीं कि आपको अच्छी गुणवत्ता वाली नींद मिल रही है।
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कई नींद विकारों के परिणामस्वरूप अक्सर लोग अच्छे से सो नहीं पाते, जिससे दिल की बीमारियां विकसित होनी शुरू हो जाती है।
नींद की अवधि और दिल की बीमारी के बीच संबंध का पता लगाने वाला यह पहला अध्ययन बताया गया।
इससे पता चला कि नींद भी भोजन, धूम्रपान और एक्सरसाइज की तरह दिल पर असर कर सकती है।
इसलिए वैज्ञानिकों ने दिल के अच्छे स्वास्थ्य के लिए रात में छह से सात घंटे सोने की सलाह दी।