ज्यादा देर बैठना (Sitting more) शरीर ही नहीं दिमाग के लिए भी नुकसानदायक है, यह दावा है संयुक्त राज्य अमेरिका में हुए एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण का।
यह सर्वेक्षण आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी और कई अन्य संस्थानों के विशेषज्ञों द्वारा साल 2020 की कोरोना महामारी के दौरान घर से ही काम करने वाले इंसानों पर किया गया था।
विशेषज्ञों ने उनकी शारीरिक गतिविधि और गतिहीन व्यवहार का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव देखते हुए अधिक समय बैठने को डिप्रेशन (Depression) बढ़ाने वाला बताया।
सर्वेक्षण के नतीजे 50 राज्यों और कोलंबिया जिले के 3,000 से अधिक इंसानों से पूछे गए सवालों पर आधारित थे।
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सभी से महामारी पूर्व और इस दौरान उनके बैठने, स्क्रीन टाइम और एक्सरसाइज में बिताए समय से मानसिक स्वास्थ्य पर असर जाना गया।
पता चला कि महामारी से पहले हो रही उनकी शारीरिक गतिविधि में प्रतिबंधों के चलते औसतन 32 प्रतिशत की कमी आई। इसके अलावा, उन्होंने अधिक उदास, चिंतित और अकेलापन भी महसूस किया।
महामारी के प्रतिबंध हटने के बाद हुए दूसरे सर्वेक्षण में उन्होंने अपने मानसिक स्वास्थ्य में सुधार बताया। लेकिन, जिन लोगों ने दिन का ज्यादा समय बैठकर गुजारा था, उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य में सुधार का अनुभव नहीं किया।
यही नहीं, उनके डिप्रेशन के लक्षण भी कम नहीं हुए थे।
हालांकि, विशेषज्ञ इस बारे में पूर्णतया आश्वस्त नहीं थे कि ज्यादा देर बैठना डिप्रेशन करता है। इसके लिए उन्होंने और जांच की आवश्यकता बताई है।
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फ्रंटियर्स इन साइकियाट्री में प्रकाशित रिपोर्ट में उन्होंने लोगों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ के लिए लंबे समय तक बैठने से बचने, छोटे ब्रेक लेने और घर से काम करने वालों को उठकर थोड़ा टहलने की सलाह दी है।
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