Sleep and brain health: सोचने-समझने की क्षमता बनाए रखने के लिए रात में अच्छे से सोना महत्वपूर्ण है, यह कहना है अमेरिकी वैज्ञानिकों का।
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी की स्लीप एंड लर्निंग लैब के नवीनतम अध्ययन में कहा गया है कि दिन में ली गई थोड़े समय की झपकी (Nap) रात की कम नींद (Sleep deprivation) की भरपाई नहीं कर सकती।
रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक दिमागी क्षमता में गिरावट को कम नींद से जुड़ा मानते है।
एक प्रयोग में उन्होंने देखा कि आधे या एक घंटे की झपकी ने भी मस्तिष्क स्वास्थ्य पर कोई विशेष प्रभाव नहीं दिखाया।
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हालांकि, झपकी लेने के बाद प्रयोग में शामिल इंसानों के मस्तिष्क को थोड़ा आराम मिला और उनके कार्यों में कम गलतियां देखी गई।
यह आराम स्लो-वेव स्लीप (Short-wave sleep) से संबंधित बताया गया है। स्लो-वेव स्लीप नींद की सबसे गहरी और आरामदायक अवस्था है। इसमें शरीर और मासपेशियां तनावमुक्त तथा धड़कन और सांस धीमें हो जाते है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, जब कोई व्यक्ति कुछ समय के लिए बिना सोए रहता है तो उसे ठीक होने के लिए ऐसी ही नींद की आवश्यकता होती है।
परीक्षण में शामिल रात भर लैब में रुकने वाले इंसानों ने झपकी लेने के बावजूद दिमागी कुशलता से जुड़े कामों में काफी अधिक गलतियां की।
उनके मुकाबले, घर जाकर पूरी रात सोने वालों का कार्य संतोषजनक था।
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हालांकि, लैब में रुकने वालों के झपकी लेने से स्लो-वेव स्लीप में 10 मिनट की वृद्धि हुई, जिनसे उनकी त्रुटियों में लगभग 4 फीसदी की कमी आई।
वैज्ञानिकों के अनुसार, भले ही ये संख्या छोटी है, लेकिन नींद से वंचित डॉक्टरों, पुलिस वालों या ट्रक चालकों की गलतियों में 4 फीसदी की कमी भी संभावित रूप से कई जीवन बचा सकती है।
उन्हें उम्मीद है कि अध्ययन के नतीजे, शरीर और दिमाग के लिए नींद का महत्व बताने में सफल होंगे।
लंबी नींद और झपकी की प्रभावशीलता को मापने से जुड़ा यह अध्ययन, स्लीप पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।