एक नई स्टडी में दिन की अपेक्षा रात की शिफ्ट (Night shift work) में काम करने को खराब कामकाजी याददाश्त (Working memory) धीमी मानसिक कार्य गति (Mental processing speed) से जुड़ा हुआ पाया गया है।
मानसिक कार्य कुशलता में हुई इस कमी का असर सतर्कता, देखने, भावनाओं पर नियंत्रण और परिस्थितियों के अनुसार प्रतिक्रिया करने की क्षमता पर भी देखने को मिला है।
स्टडी करने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, दिमाग़ में हुए ऐसे नकारात्मक परिवर्तन कार्यस्थल पर संभावित रूप से दुर्घटनाओं को बढ़ावा दे सकते है।
मानसिक कार्यों में आने वाली ऐसी चिंताजनक कमियों के लिए शरीर की आंतरिक बॉडी क्लॉक, जिसे सर्कैडियन रिदम (Circadian rhythm) कहा जाता है, में गड़बड़ी को दोषी ठहराया गया है।
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शिफ्ट जॉब के कारण सर्कैडियन रिदम बिगड़ने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती है, जिनमें नींद संबंधी विकार, हृदय रोग, मोटापा, डायबिटीज, मूड डिसऑर्डर और मादक द्रव्यों की लत शामिल हैं।
ऐसी अनिश्चितताओं की ज़्यादा जानकारी के लिए विशेषज्ञों ने साल 2005 से 2020 के बीच प्रकाशित 18 अध्ययनों का विश्लेषण किया।
इन अध्ययनों में 35 वर्ष के 18 हजार से ज्यादा शिफ्ट वर्क से जुड़े कामकाजी मनुष्य शामिल थे।
पाया गया कि अन्य प्रकार के वर्करों की तुलना में शिफ्ट वर्करों की मानसिक कार्य कुशलता का प्रदर्शन बेहद ख़राब था।
यह ख़राब असर भावना या व्यवहार नियंत्रण और विशेष परिस्थिति में निर्णय लेने की क्षमता पर सबसे अधिक दिखा, जबकि सोचने, समझने, याददाश्त, सतर्कता और देखने की क्षमता पर छोटा लेकिन महत्वपूर्ण असर दर्ज किया गया।
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इन सभी प्रभावों के पीछे सोने और जागने से संबंधित मेलाटोनिन और कोर्टिसोल हार्मोन का बाधित होना पाया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, शिफ्ट वर्कर्स के गड़बड़ाते मस्तिष्क कार्यों को बताने वाली इस स्टडी के निष्कर्षों में काम के आधार पर कुछ त्रुटियां हो सकती है।
लेकिन उनके प्रतिकूल स्वास्थ्य और काम से संबंधित जोख़िम को कम करने के लिए न्यूरोबेहेवियरल (neurobehavioural) परफॉरमेंस में होने वाली कमी पर ध्यान देना ज़रूरी है।
इस बारे में ऑक्यूपेशनल एन्ड एनवायरनमेंटल मेडिसिन जर्नल से अधिक जानकारी मिल सकती है।
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