Vibrio vulnificus infections: एक स्टडी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन से इंसानों को भविष्य में अधिक घातक रोगाणुओं का सामना करना पड़ेगा।
स्टडी से जुड़े यूके, यूएस और स्पेन के वैज्ञानिकों ने ख़ासकर नॉर्थ अमेरिका में ‘इंसानी मांस खाने वाले बैक्टीरिया’ के संक्रमण में वृद्धि बताई है।
Vibrio vulnificus नामक यह बैक्टीरिया जलवायु के निरंतर गर्म होने से संयुक्त राज्य अमेरिका के तटीय हिस्सों में संभावित घातक संक्रमण फैला सकता है।
Vibrio vulnificus बैक्टीरिया गर्म तटीय जल में पनपते है और समुद्री जल के संपर्क में आए इंसान की खरोंच या किसी कीट के काटने को संक्रमित कर सकते हैं।
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यूके की ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में हुई स्टडी ने 30 वर्ष के दौरान अमेरिका के पूर्वी तट पर Vibrio vulnificus के संक्रमण की संख्या प्रति वर्ष 10 से 80 होती पाई है।
1980 के दशक के अंत में, मेक्सिको की खाड़ी और दक्षिणी अटलांटिक तट पर भी ऐसे ही मामले पाए गए थे।
ग़ौरतलब है कि Vibrio vulnificus घाव में जानलेवा संक्रमण पैदा कर सकता है। इससे संक्रमित हुए इंसानों के अंग काटने पड़ते है।
इसका संक्रमण गर्मियों में चरम पर होता है। यह बैक्टीरिया तेजी से फैलता है और व्यक्ति के मांस को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है।
नतीजतन, इसे आमतौर पर ‘मांस खाने’ की बीमारी कहा जाता है। कई संक्रमित लोगों को जीवित रहने के लिए अपने अंग भी कटवाने पड़े है।
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वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसका संक्रमण 2041-2060 तक न्यूयॉर्क के आसपास के प्रमुख जनसंख्या इलाकों में फैल सकता है।
विशेषकर संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बढ़ती और तेजी से बुजुर्ग होती आबादी के कारण वार्षिक मामले की संख्या दोगुनी हो सकती है।
ग्लोबल वार्मिंग अधिकता के कारण साल 2081-2100 तक तो इसका संक्रमण प्रत्येक पूर्वी अमेरिकी राज्य में फैला हो सकता है।
वैज्ञानिकों ने घातक संक्रमण के अनुमान और विस्तार को देखते हुए लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता कही है।
बढ़ते जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को भांपते हुए 21वीं सदी के अंत तक हर साल लगभग 140-200 V. vulnificus संक्रमणों की भविष्यवाणी है।
इस बारे में गहन जानकरी साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट से मिल सकती है।
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