लंबी उम्र (Longevity) के लिए क्या चीज जरूरी है, यह बताया है अमेरिका और जापान के वैज्ञानिकों ने।
एक रिसर्च में टोक्यो की कीयो यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और सयुंक्त राज्य अमेरिका की ब्रॉड इंस्टिट्यूट ऑफ एमआईटी के वैज्ञानिकों ने 100 साल या इससे अधिक समय तक जीवित रहने वालों की आंतों में विशेष बैक्टीरिया (Gut microbiome) देखे है।
ये बैक्टीरिया उन्हें कई दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारियों के अलावा कुछ जीवाणु संक्रमणों से बचाए रखते है।
बुजुर्गों की सेहत का निर्धारण करने में उनके पेट के अति सूक्ष्म जीवाणुओं की भूमिका अहम मानी गई है।
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ये जीवाणु काफी हद तक उनकी पाचन क्रिया, हड्डियों, मानसिक स्थिति, इम्युनिटी और रोगज़नक़ संक्रमण को नियंत्रित रखते है।
रिसर्च में लंबी उम्र करने वाले आंत माइक्रोबायोटा और दीर्घायु प्रक्रिया को जाना गया।
वैज्ञानिकों ने 85 से 89 वर्ष के बुजुर्गों और 21 से 55 वर्ष के वयस्कों की तुलना 100 वर्ष और उससे अधिक आयु के इंसानों से की।
पता चला कि सर्वाधिक उम्र वालों की आंतों में अन्यों के मुकाबले कई प्रकार की जीवाणु प्रजातियां है, जो सेकंडरी बाइल एसिड (Secondary bile acids) नामक केमिकल बनाते है।
ये केमिकल पाचन तंत्र को विषाणुओं के संक्रमण से बचाते है, आंतों को स्वस्थ रखते है और शरीर के इम्यून सिस्टम की बनाए रखने में मदद करते है।
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100 साल वालों के मल माइक्रोबायोटा से 68 जीवाणुओं को अलग करके वैज्ञानिकों को वो बैक्टीरिया मिले, जो सेकंडरी बाइल एसिड के उत्पादन में सहायक है।
इसके अतिरिक्त, कुछ एंजाइम भी सेकंडरी बाइल एसिड उत्पन्न करने और आंतों को स्वस्थ रखने में समर्थ बताए गए है।
हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि लम्बी उम्र की एकमात्र वजह यही बैक्टीरिया है, ऐसा पक्के तौर पर कहा नहीं जा सकता। उन्होंने इस बारे में और रिसर्च किए जाने की जरूरत बताई है।
नेचर पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च से उम्मीद है कि भविष्य में इन जीवाणुओं की मदद से बीमारियों का भी उपचार किया जा सकता है।
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