Environmental Impacts Associated with Food Consumption: पर्यावरण और स्वास्थ्य की भलाई के लिए मिठाई, पेस्ट्री, तले हुए खाद्य पदार्थ और पैकेटबंद मांस खाना कम कीजिए, ये कहना है एक नई स्टडी का।
स्टडी करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों की मानें तो ऐसी कटौती भोजन से संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और अन्य पर्यावरणीय प्रभावों को घटाने में योगदान देती है।
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड निवासियों की खाने-पीने संबंधी आदतों का पर्यावरणीय प्रभाव बताती 20 अध्ययनों की समीक्षा में व्यावसायिक भोजन की अपेक्षा अधिक टिकाऊ आहार विकल्पों की आवश्यकता बताई गई है।
नतीजे बताते है कि इंसानों द्वारा सालाना अपने आहार, खाद्य उत्पादन, पैकेजिंग, भोजन की बर्बादी, फसलों, कीटनाशकों, जमीन और पानी के इस्तेमाल से कई टन कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन का उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालते है।
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इनमें मांस, अनाज, फल-सब्जियां, जंक फूड और डेयरी प्रोडक्ट्स ग्रीन हाउस उत्सर्जन में सबसे अधिक योगदान देते है।
इसके अलावा, खाद्य पदार्थों के उत्पादन में पानी और भूमि का ज्यादा इस्तेमाल भी पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। हालांकि, अन्य खाद्य पदार्थों के मुकाबले मांस के लिए कम पानी खर्च होता है।
पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन में प्रकशित रिपोर्ट में, विशेषज्ञों का कहना है कि साल 2050 तक दुनिया की आबादी 10 अरब पहुंचने का अनुमान है।
ऐसे में, खाने और भोजन का उत्पादन करने के तरीके नहीं बदलने पर इतने लोगों के पेट भरने का कोई रास्ता नहीं होगा।
इसलिए बेहतर है कि इन पर्यावरणीय प्रभावों को सोचकर हम समय रहते पृथ्वी सहित अपने स्वास्थ्य की भलाई वाले भोजन और मात्रा को अपना ले।
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