हार्ट फेलियर (Heart failure) से बचाने में नमक (Salt) कम खाना बेहतर उपाय माना जाता है, लेकिन अत्यधिक कम नमक खाने से भी दिल को नुकसान हो सकता है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की हार्ट पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी का कहना है कि प्रतिदिन की तय मात्रा (ढ़ाई ग्राम) से भी कम नमक खाने से हार्ट फेलियर हो सकता है।
स्टडी में, हार्ट फेलियर विथ प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन (Heart Failure with Preserved Ejection Fraction), जोकि एक तरह का हार्ट फेलियर है, का ज़िक्र किया गया है।
यह हार्ट फेलियर तब होता है जब हार्ट के लेफ्ट वेंट्रिकल सख्त हो जाते है और रिलेक्स नहीं कर पाते है। ऐसा होने से हार्ट के अंदर प्रेशर बढ़ता है और पूरे शरीर में खून की कम मात्रा पहुंच पाती है।
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स्टडी में ऐसे हार्ट फेलियर पर रोज़ाना डेढ़ ग्राम से भी कम नमक खाने का असर जाना गया।
इसके लिए प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन वाले हार्ट फेलियर से पीड़ित 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के 1713 लोगों की तीन वर्ष तक जांच की गई।
उनके नमक सेवन की जानकारी से पता चला कि लगभग आधे लोगों (816) का नमक खाने में स्कोर शून्य था।
ऐसे पुरुषों का वजन काफी अधिक था और उनका डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (70 मिमी एचजी) तय मात्रा में नमक खाने वालों से कम था।
ऐसे पुरुषों को हार्ट फेलियर के डर से अधिक बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनमें डायबिटीज, खराब किडनी, हार्ट फेलियर की दवा ज़्यादा लेने और कम कार्डियक आउटपुट होने की संभावना थी। .
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ताज्जुब की बात रही कि उनसे ऊपर नमक की मात्रा लेने वालों को हार्ट फेलियर के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम थी।
स्टडी के नतीजों में, 70 साल या युवाओं को नमक खाने से अधिक लाभ होने की संभावना थी, जबकि बढ़ती उम्र वालों को नमक खाने में सावधानी बरतने की सलाह दी गई।
इसके अलावा, खराब स्वास्थ्य वालों को भी नमक कंट्रोल में रखने को कहा गया।
शोधकर्ताओं का कहना था कि नमक का सेवन अत्यधिक कम करने से हार्ट फेलियर विथ प्रिजर्व्ड इजेक्शन फ्रैक्शन के मरीज़ों को नुकसान हो सकता है क्योंकि इससे शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। फलस्वरूप, ऑक्सीजन युक्त खून की सप्लाई पर भी असर पड़ता है।
उन्होंने डाक्टरों से भी मरीज़ों को बेवज़ह नमक बंद न करने की सलाह देने का अनुरोध किया है।