जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से इंसानों पर ही नहीं बल्कि जानवरों और फसलों पर भी गर्मी का बुरा असर पड़ रहा है।
ऐसे में कितना तापमान (Temperature) बेहतर है और कितना हानिकारक, इस बारे में म्यूनिख की एक रिसर्च यूनिवर्सिटी ने खुलासा किया है।
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सेंथोल्ड असेंग के मुताबिक, बढ़ता तापमान सभी जीवों और वनस्पतियों को समान रूप से प्रभावित करता है।
उन्होंने ज्यादातर जीवों के लिए तापमान के 17 से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने को बेहतर बताया है।
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मनुष्यों के लिए ह्यूमिडिटी लेवल (Humidity Level) बढ़ने पर हल्की गर्मी लगभग 23 डिग्री सेल्सियस पर और 27 डिग्री सेल्सियस कम लेवल होने पर शुरू हो जाती है।
लेकिन अगर लोगों को 32 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर ज्यादा ह्यूमिडिटी लेवल झेलना पड़े या लंबे समय तक बेहद कम ह्यूमिडिटी लेवल में 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान हो तो यह उनके लिए घातक हो सकता है।
“ऐसे हालात में सिर्फ एयर कॉन्डीशनर का ही सहारा होगा,” यह कहना था प्रोफेसर असेंग का।
बढ़ती गर्मी के तनाव को कम करने के लिए पेड़ों से प्राकृतिक छाया बढ़ाना या शेडिंग लगाना, शहरों और इमारतों में इन्सुलेशन करना तथा घरों में हल्के रंगों का उपयोग प्रभावी उपाय हो सकते है।
प्रोफेसर असेंग के मुताबिक, उच्च तापमान जानवरों को भी बैचेन कर देता है। उन्हें भी ह्यूमिडिटी लेवल घटने-बढ़ने से 24 से 29 डिग्री सेल्सियस होने पर हीट स्ट्रेन हो जाता है।
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ऐसे में गायों का दूध सूख जाता है, सूअरों में चर्बी कम हो जाती है और मुर्गियां अंडे देना कम कर देती है। कुछ ऐसा ही असर फसलों और शाक-सब्जियों में भी देखने को मिल सकती है।
प्रोफेसर असेंग ने चिंता जताते हुए कहा है कि सदी के अंत तक, पूरे विश्व की धरती का 45 से 70 फीसदी हिस्सा जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो सकता है। ऐसे में मनुष्य बिना एयर कंडीशनर के जीवित नहीं रह सकते। फिलहाल यह स्थिति 12 फीसदी है।
इसका मतलब है कि भविष्य में, मानव आबादी का 44 से 75 फीसदी हिस्सा गर्मी से लंबे समय तक झुलसता रहेगा। यही हाल पशुओं, कृषि और अन्य जीवों का भी होगा।
“यदि वर्तमान जलवायु प्रवृत्ति ऐसी ही बनी रही तो तापमान बढ़ने और जलवायु परिवर्तन के कारण कई प्रजातियां गंभीर रूप से प्रभावित होकर पृथ्वी से पूरी तरह गायब हो सकती है,” ऐसी आशंका प्रोफेसर असेंग ने जताई।
लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में इस विषय पर और भी विस्तार से छापा गया है।