तनावपूर्ण स्थितियों को समझदारी से कंट्रोल करके हम स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को काफी हद तक रोक सकते है, ऐसा कहना है अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का।
ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि जब आप किसी झगड़े या बहसबाजी को सुलझाते है तो उससे जुड़ी भावनात्मक प्रतिक्रिया काफी कम हो जाती है।
यह भावनात्मक प्रतिक्रिया (emotional response) मामला न सुलझने पर मानसिक तनाव (stress) का रूप ले लेती है, जो बढ़ने पर चिंता, डिप्रेशन, दिल की बीमारी, कमजोर इम्यून सिस्टम और न जाने कौन-कौन सी बीमारियों में बदल जाती है।
अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए दैनिक जीवन में होने वाले विवाद, असहमति या बहस से उपजी तनावकारी नकारात्मक भावना को समाप्त करना काफी महत्वपूर्ण है।
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वैज्ञानिकों के मुताबिक, हम तनावपूर्ण चीजों को होने से रोक तो नहीं सकते, लेकिन उन्हें सुलझा कर समाप्त जरूर कर सकते है।
ऐसा न होने पर सेहत पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को देखने के लिए उनके दल ने 2,000 से अधिक लोगों की भावनाओं और अनुभवों के बारे में जाना।
उन्होंने किसी बहस से पैदा हुई नकारात्मक और सकारात्मक भावनाओं की जांच की तो पाया कि जिन लोगों ने बहस को झगड़े का रूप लेने से पहले ही खत्म कर दिया उनमें तनाव लाने वाली नकारात्मक भावनाएं, ऐसा न कर पाने वालों की तुलना में आधी थी।
यही नहीं, जिन लोगों ने मामले को सफलतापूर्वक सुलझा भी लिया, उनकी नकारात्मक भावनाओं का असर अगले दिन तक नहीं गया।
हालांकि बहसबाजी या झगड़े सुलझाने में 68 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बुजुर्ग, 45 और युवा लोगों की तुलना में 40 फीसदी ज्यादा थे, लेकिन ऐसी स्थितियों से सभी के मस्तिष्क पर अच्छा और बुरा असर देखा गया।
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अध्ययन के निष्कर्ष बताते है कि भले ही लोग छोटी-मोटी असुविधाओं के तनाव को न रोक पाए, लेकिन अपनी भावनात्मक प्रतिक्रिया को जरूर सुधार सकते है।
विपरीत परिस्थितियों में कुछ लोग अन्यों की तुलना में अधिक प्रतिक्रियाशील होते है। लेकिन समझबूझ से तनाव को हल करने पर लंबे समय तक होने वाले दुष्प्रभावों को कम करना आसान होगा।
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