वैसे तो बढ़ती उम्र को धीमा करने के कई उपायों के बारे में बात होती रहती है, लेकिन ऐसा कोई गंभीर अध्ययन सामने नहीं आया जो इसके बायोलॉजिकल प्रभाव को साबित कर सके।
हालांकि उपवास (fasting) द्वारा जीवन को बढ़ाने से संबंधित शोध सभी जानवरों के स्वास्थ्य में सुधार की वकालत करते रहें है।
इसलिए यूओसी फैकल्टी ऑफ हेल्थ साइंसेज फूडलैब के दो शोधकर्ताओं, सल्वाडोर मैकिप और मार्टा मासिप, ने अब रुक-रुक कर उपवास यानी इंटरमिटेंट फास्टिंग (intermittent fasting) के प्रभाव का अध्ययन करने की ठानी है।
दोनों शोधकर्ता रजोनिवृत्ति (menopause) पूरी करने वाली महिलाओं में इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रभाव का अध्ययन करेंगे।
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रजोनिवृत्ति महिलाओं मे क्यों?
दरअसल रजोनिवृत्ति महिलाओं के शरीर में परिवर्तन उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। इसमें मेटाबॉलिक सिंड्रोम मुख्य है जो उनके कार्डियोवैस्कुलर रिस्क को बढ़ाता है और उम्र बढ़ने से संबंधित प्रक्रियाओं को तेज कर देता है।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, उपवास से शरीर के सेल्स को साफ़ करने वाला एक तंत्र एक्टिवेट होता है जो समय से पहले उम्र बढ़ाने वाले या कुछ बीमारियों में शामिल कचरे को समाप्त करता है। इसलिए शोध में सभी महिला प्रतिभागियों के दैनिक जीवन में उपवास को यथासंभव प्राकृतिक रूप से शामिल किया जाएगा।
अध्ययन की मुख्य बातें:
- इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रभाव को देखने से जुड़ा यह अध्ययन साल 2021 और 2023 के बीच किया जाएगा, जिसमें सौ के लगभग महिलाओं की भर्ती की जाएगी।
- पहले चरण के दौरान, प्रतिभागियों के अंग की उम्र बढ़ने का विश्लेषण उन मार्करों के माध्यम से किया जाएगा जो रक्त के नमूनों में दिखाई देते हैं।
- क्लिनिक अध्ययन के लिए, रोगियों को दो समूहों (नियंत्रण समूह और परीक्षण समूह) में विभाजित किया जाएगा। परीक्षण समूह उपवास करने वाला समूह होगा।
- सभी रोगी एक वर्ष के लिए कम कार्बोहाइड्रेट वाला संतुलित आहार लेंगे जिसमे कैलोरी की सामान्य मात्रा होगी।
- इसके अलावा, परीक्षण समूह सप्ताह में दो दिन लगातार 16 घंटे उपवास करेगा (उदाहरण के लिए, वे डिनर जल्दी खाएंगे और अगले दिन लंच तक नहीं खाएंगे)।
- उपवास की अवधि के दौरान उन्हें खाने की बजाए सिर्फ पानी, कॉफी या चाय पीने की अनुमति होगी।
- विश्लेषण करने के लिए रोगियों से रक्त के नमूने, अध्ययन शुरू करने से पहले, शुरू करने के छह महीने बाद और अध्ययन के अंत में एक वर्ष के बाद, लिए जाएंगे।
- रक्त परीक्षण में देखे जा सकने वाले मार्करों के अलावा, अन्य मापदंडों का भी किया जाएगा।
- अध्ययन में उपयोग किए जाने वाले मार्कर लीसेस्टर विश्वविद्यालय (यूनाइटेड किंगडम) के प्रयोगशाला चूहों में मान्य है।
- साधारण रक्त परीक्षण में पहचाने जा सकने वाले इन मार्कर का उपयोग विभिन्न अंगों में जमा पुरानी कोशिकाओं के ढेर का पता लगाने और पुराने एवं नए टिश्यू के बीच अंतर करने के लिए किया जा सकता है।
निष्कर्षों को पुरुषों पर भी लागू किया जा सकेगा
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यदि शोधकर्ताओं की परिकल्पना सही निकली तो रुक-रुक कर उपवास करने की क्रिया से शरीर के अंगों की बढ़ती उम्र में सुधार हो सकता है। इससे पोस्टमेनोपॉज़ल अवधि के दौरान महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक सरल उपचार ढूंढा जा सकता है।
हालांकि पुरुषों और महिलाओं का पाचन तंत्र बहुत अलग है, लेकिन उम्र बढ़ने की प्रक्रिया दोनों में एक समान है। इसलिए अध्ययन के निष्कर्षों को पुरुषों पर भी लागू किया जा सकेगा, ऐसा शोधकर्ताओं का मानना है।
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