शिकागो के वैज्ञानिकों ने दिमागी सेहत (Brain Health) को बताने वाली एक घड़ी विकसित करने का दावा किया है।
उनके अनुसार, इसकी सहायता से किसी भी इंसान की सोचने-समझने और याददाश्त से जुड़ी समस्याओं के खतरों को देखना संभव होगा।
अल्जाइमर रोग से संबंधित एक पत्रिका में प्रकाशित उनकी खोज से, उम्र बढ़ने पर होने वाले दिमागी विकारों को समय रहते पहचान कर इलाज करने में आसानी बताई गई है।
रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित मानसिक क्षमताओं को जांचने वाली नई घड़ी दरअसल कई इंसानों के दिमागी परीक्षणों पर आधारित आंकड़े है।
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ये आंकड़े इंसान की दिमागी सेहत का उसकी वास्तविक उम्र की अपेक्षा ज्यादा सटीकता से मूल्यांकन कर सकते है।
वैज्ञानिकों ने इसे ही घड़ी का नाम दिया है जो यह पता लगा सकती है कि आने वाले वर्षों में किस इंसान की मानसिक क्षमताओं को नुकसान होने का खतरा है।
इसके निर्माण के लिए वैज्ञानिकों ने कई दीर्घकालिक अध्ययनों के आंकड़ों का उपयोग किया तब जाकर एक छोटी सी मानसिक परीक्षा बनाई गई, जो दिमागी कार्य कुशलता का निर्धारण करने में समर्थ थी।
मानसिक क्षमताओं को परखने वाली इस घड़ी रूपी परीक्षा का उपयोग करके वैज्ञानिक किसी व्यक्ति की समझबूझ से जुड़ी आयु का अनुमान भी लगा सकते है।
दिमागी सेहत को बताने वाली ऐसी आयु लगभग 80 वर्ष तक स्थिर रहने के बाद मौत होने तक घटती रहती है।
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मानसिक विकारों, कार्य कुशलता और मौत की भविष्यवाणी इसी आयु को जानकर की जा सकती है, ऐसा वैज्ञानिकों का कहना था।
यह साधन आने वाले वर्षों में अल्जाइमर रोग या डेमेंशिया विकसित होने की संभावना का अनुमान लगा सकता है।
अल्जाइमर रोग और मस्तिष्क के अन्य रोग इंसानों के बूढ़े होने पर समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ते है।
हालांकि, उम्र को अल्जाइमर रोग का मुख्य जोखिम कारक बताया गया है, लेकिन यह सही नहीं है, क्योंकि हर कोई उम्र बढ़ने पर इस विकार से प्रभावित नहीं होता।
ऐसे में वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उनके द्वारा विकसित घड़ी ही दिमाग की सेहत और समस्याओं को बताने में मददगार साबित होगी।