Ready meals side-effects: बाज़ार में बिकने वाले पैकेट बंद फ़ूड प्रोडक्ट्स न केवल हमारे लिए बल्कि पृथ्वी के लिए भी हानिकारक है।
ये चौंकाने वाला ख़ुलासा किया है स्कॉटलैंड की एबरडीन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने।
उनके नए अध्ययन में पाया गया है कि रेडी मील्स (Ready meals) घर के पके भोजन जितने पौष्टिक नहीं होते है। साथ ही, इनका कार्बन फुटप्रिंट (Carbon footprint) भी अधिक होता है।
कार्बन फुटप्रिंट का मतलब किसी संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा छोड़ा गया कुल कार्बन उत्सर्जन है।
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यह उत्सर्जन कार्बन डाइऑक्साइड या ग्रीनहाउस गैसों के रूप में होता है।
नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 54 तरह के रेडी मील्स की लागत, न्यूट्रीशनल क्वॉलिटी और ग्रीनहाउस गैस (Greenhouse gas) उत्सर्जन की घर के पके भोजन से तुलना की है।
इससे उन्हें पशु बनाम पौधे-आधारित भोजन की तुलना करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर खाना पकाने के विभिन्न तरीकों का असर पता चला है।
नतीजों में, बाज़ार के पैकेट बंद फ़ूड प्रोडक्ट्स से घर के पके हुए भोजन की अपेक्षा काफी अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता मिला है।
बता दें कि इन फ़ूड प्रोडक्ट्स को पकाने की आवश्यकता नहीं होती है और कुछ को केवल खाने से पहले गर्म करना पड़ता है।
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ऐसे फ़ूड प्रोडक्ट्स में अधिक नमक, चीनी और घी-तेल का औसत स्तर घर के पके भोजन की तुलना में काफी अधिक होता है।
वैज्ञानिकों की मानें तो पशुओं के रेडी-टू-ईट फ़ूड प्रोडक्ट्स में भी घर बने भोजन की तुलना में बहुत अधिक कार्बन फुटप्रिंट होता है।
पशु-आधारित फ़ूड प्रोडक्ट्स से घर के भोजन की अपेक्षा लगभग 40% अधिक उत्सर्जन होता है।
जबकि पौधे-आधारित और घर-पके भोजन में कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है।
यही नहीं, बाज़ार के तैयार भोजन या घर बने भोजन को पकाने से भी उत्सर्जन में और वृद्धि होती है।
ओवन में खाना पकाने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 20% तक लेकिन स्टोव और माइक्रोवेव से केवल 4% या 1% से कम की वृद्धि होती है।
खाना पकाने के लिए समय की कमी, अलग-अलग भोजन के समय और कम कुकिंग कौशल के कारण पैकेटबंद भोजन बहुत लोकप्रिय है।
हालांकि, इस प्रकार के फ़ूड प्रोडक्ट्स की ख़राब क्वॉलिटी और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की अत्यंत आवश्यकता है।
यह स्टडी पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन जर्नल में प्रकाशित हुई थी।