बाजार में बिकने वाले पैकेटबंद आलू चिप्स, ब्रेड, बिस्कुट, केक और पेस्ट्री को किडनी की सेहत के लिए खतरनाक बताने वाला एक अध्ययन हाल ही में सामने आया है।
ऑस्ट्रेलिया की मोनॅश यूनिवर्सिटी के खोजकर्ताओं ने पता लगाया है कि ऐसा भोजन ज्यादा खाने से पाचन तंत्र से जुड़ी लीकी गट सिंड्रोम (leaky gut syndrome) बीमारी होती है, जो बदले में गुर्दे की बीमारी (kidney disease) का खतरा बढ़ा देती है।
आज गंभीर रूप से हुई गुर्दे की बीमारी से दुनिया भर की आबादी का 10 फीसदी हिस्सा प्रभावित है और पैकेटबंद प्रोसेस्ड फूड की बढ़ती लोकप्रियता के कारण इस बात के पुख्ता सबूत है कि ये इंसानी सेहत के लिए घातक होते जा रहे है।
ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, मोटापा, कैंसर और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (gastrointestinal) रोगों का खतरा भी जुड़ा हुआ है।
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साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला है कि इन खाद्य पदार्थों में AGEs (Advanced Glycation End Products ) नामक कुछ हानिकारक केमिकल मिले होते है, जो गुर्दे की बीमारी को करने वाली प्रतिक्रिया पैदा करते है।
इन केमिकल से आलू के चिप्स, ब्रेड, बेकरी, चॉकलेट और कन्फेक्शनरी के उत्पादों को तलने-भूनने के समय उनका स्वाद और सुगंध मिलती है, जिससे हम उन्हें खाने के लिए लालायित हो उठते है।
चूहों पर किए अध्ययन से खोजकर्ताओं ने जाना कि बीमारी को करने वाली प्रतिक्रिया को ओट्स, जौ, फलियां, काले बींस, मटर जैसे अधिक स्टार्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों से बंद किया जा सकता है।
यही नहीं, ये खाद्य पदार्थ आंत के स्वास्थ्य को बहाल कर गुर्दे की सेहत में सुधार भी ला सकते है।
उनके अनुसार, ऐसे खाद्य पदार्थ आंत में रहने वाले कई तरह के बैक्टीरिया के लिए भोजन का काम करते है, जो बाद में बीमारियों को रोकने वाले गुणकारी तत्व पैदा करते है।
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हालांकि, इंसानों के लिए ऐसे आहार परिवर्तन को लंबे समय तक बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, लेकिन सख्त स्टार्च फाइबर वाले ज्यादा खाद्य पदार्थों को खाने और भोजन बनाने के तरीकों में सुधार लाने से प्रोसेस्ड फूड के हानिकारक प्रभाव घटा सकते है।
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