बढ़ते भोजन की बर्बादी (food waste) पर संयुक्त राष्ट्र की नई पर्यावरण संबंधी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इससे जलवायु परिवर्तन और भी प्रभावित होगा।
संगठन की नई रिपोर्ट में इस विषय पर चिंता जताते हुए बताया गया कि साल 2019 में 930 मिलियन टन से अधिक का भोजन कूड़ेदानों की भेंट चढ़ गया।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और सहयोगी संस्था WRAP द्वारा निर्मित फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021 (Food Waste Index Report 2021) से पता चला कि घरों, रेस्तरां और दुकानों में बचे हुए भोजन का लगभग 17 प्रतिशत हिस्सा कूड़े में फेंक दिए गया।
कुछ भोजन खेतों पर और सप्लाई चेन के दौरान भी खराब हो गया। इससे पता चला कि कुल मिलाकर एक तिहाई भोजन कभी खाया ही नहीं गया।
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इस बारे में बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन का कहना था कि दुनिया भर के व्यवसायों, सरकारों और नागरिकों को जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और कचरे से निपटने के लिए भोजन की बर्बादी को कम करना होगा।
हालाँकि, खाने की बर्बादी ज्यादातर अमीर देशों को प्रभावित करने वाली समस्या मानी जाती थी लेकिन रिपोर्ट में लगभग सभी देशों में ऐसा समान स्तर पर देखा गया।
भारत में इतनी है अन्न की बर्बादी
पिछले तीन अध्ययनों के अनुसार, भारतीय घरों में भोजन बर्बादी का अनुमान 50 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष या 68,760,163 टन प्रति वर्ष रहा।
अमेरिका में इसका अनुमान प्रति वर्ष 59 किलोग्राम प्रति वर्ष या 19,359,951 टन बताया गया, जबकि चीन में यह अनुमान 64 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष या 91,646,213 टन प्रति वर्ष रहा।
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अध्ययन से पता चलता है कि घरों में 11 प्रतिशत भोजन फेंकने के लिए छोड़ दिया गया, जबकि फूड सर्विस और रिटेल दुकानों में क्रमशः पांच और दो प्रतिशत खाने की बर्बादी हुई।
वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का आठ से दस प्रतिशत इस फैंके गए भोजन से जुड़ा मिला।
भोजन की बर्बादी रोकने से होगा फायदा
भोजन की इस बर्बादी को कम करने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती होगी, भूमि परिवर्तन और प्रदूषण रोककर पर्यावरण विनाश कम होगा, भोजन की उपलब्धता बढ़ेगी और इस तरह वैश्विक मंदी के समय भूखमरी कम होने से धन की बचत होगी।
साल 2019 में लगभग 690 मिलियन लोग भूख से प्रभावित थे और तीन अरब लोग स्वस्थ आहार खरीदने में असमर्थ थे। ऐसे में कोरोनावायरस के बढ़ते दुष्प्रभावों से ये संख्या और भी ज्यादा हो गयी।
इसलिए अध्ययन के विशेषज्ञ उपभोक्ताओं से खाना बर्बाद न करने का आग्रह करते है।
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