पुरुषों और महिलाओं का डिप्रेशन (Depression) गुज़रते जीवन में दिल (Heart) के लिए हानिकारक हो सकता है।
एक नए शोध में डिप्रेशन पीड़ित गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) को डिलीवरी के बाद दिल की कई बीमारियों का खतरा मिला है।
यह खतरा डिप्रेशन ग्रस्त माताओं में बच्चे की पैदाइश के दो साल के भीतर बढ़ने का अधिक अनुमान था।
हालांकि, उनकी तुलना में डिप्रेशन से मुक्त माताओं को हृदय रोग होने की संभावना नहीं देखी गई।
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उपरोक्त जानकारी लगभग 120,000 यूएस महिलाओं के मेडिकल क्लेम की जाँच से प्राप्त हुई थी।
उनकी डिलीवरी के दो साल के भीतर दिल से जुड़ी छ बीमारियों का प्रबल ख़तरा था।
इनमें हार्ट फेलियर, इस्केमिक हार्ट डिजीज, कार्डियक अरेस्ट, कार्डियोमायोपैथी, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर प्रमुख थीं।
गर्भावस्था के दौरान डिप्रेशन पीड़ित महिलाओं को:
- इस्केमिक हार्ट डिजीज का 83%,
- कार्डियोमायोपैथी का 61%;
- एरिथमिया /कार्डियक अरेस्ट का 60%;
- नए हाई ब्लड प्रेशर का 32%; और
- स्ट्रोक का 27% अधिक जोखिम था।
गर्भावस्था में हाई बीपी ग्रस्त माताओं को अलग करने के बाद भी डिप्रेशन पीड़ित माताओं में दो वर्षों के भीतर:
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- एरिथमिया /कार्डियक अरेस्ट का 85%;
- इस्केमिक हार्ट डिजीज का 84%;
- कार्डियोमायोपैथी का 53%;
- नए हाई ब्लड प्रेशर का 43%; और
- स्ट्रोक का 42% अधिक ख़तरा था।
हालांकि, प्रसवपूर्व डिप्रेशन और हृदय रोगों के बीच संभावित संबंधों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिली।
लेकिन पुरानी सूजन और तनाव संबंधित हार्मोन में वृद्धि गर्भावस्था के बाद दिल-संबंधी रोगों को बढ़ाते मिले।
इस बारे में और जानकारी जर्नल ऑफ़ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित रिसर्च से मिल सकती है।
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