एक विश्वव्यापी अध्ययन में पाया गया कि 11 प्रतिशत नवजात शिशुओं को अपनी माताओं से कोरोनावायरस (COVID-19) संक्रमण हुआ।
इतना ही नहीं, वायरस से बची रही गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) की तुलना में, गर्भावस्था के दौरान संक्रमित हुई महिलाओं में मौत की संभावना 20 गुना अधिक रही।
साथ ही, मोटापे, हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं की जान को भी बीमारी से बड़ा खतरा बताया गया।
यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन और ऑक्सफोर्ड के डॉक्टरों ने इस तरह के पहले अध्ययन का नेतृत्व किया।
अप्रैल और अगस्त 2020 के बीच आयोजित इस अध्ययन में 18 देशों के 100 से अधिक शोधकर्ता और 2100 गर्भवती महिलाएं शामिल थीं।
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COVID-19 से प्रभावित प्रत्येक महिला की तुलना दो असंक्रमित गर्भवती महिलाओं से की गई, जिन्होंने एक ही अस्पताल में, एक ही अवधि के दौरान, शिशु को जन्म दिया।
मृत्यु के बढ़ते जोखिम के अलावा, महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं में भी जन्म संबंधी दिक्कतें और आईसीयू की संभावना अधिक थी।
संक्रमित माताओं के 11.5 प्रतिशत शिशुओं में भी वायरस संक्रमण मिला।
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर गर्भवती महिलाओं को संक्रमण हुआ तो उन्हें गंभीर बीमारी होने पर आईसीयू, वेंटिलेशन या जन्म देने संबंधी समस्याओं को झेलना पड़ेगा। हालांकि, हल्के लक्षणों वाली महिलाएं ऐसी दिक्कतों से बची रहेंगी।
इस अध्ययन में लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं ऐसी ही थीं।
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COVID-19 से संक्रमित महिलाओं के शिशुओं में निर्धारित जन्म समय से पहले ही पैदा होने की संभावना अधिक थी; लेकिन उनके संक्रमण आमतौर पर हल्के थे।
अध्ययन में स्तनपान से तो संक्रमण को प्रसारित होते नहीं देखा गया, लेकिन सिजेरियन डिलीवरी से हुए शिशुओं को संक्रमण का खतरा होने की प्रबल संभावना पाई गई।
इसलिए अध्ययन का सुझाव था कि सभी गर्भवती महिलाओं को COVID-19 वैक्सीन लगनी चाहिए।
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