कोरोनोवायरस (COVID-19) प्रतिबंधों से दुनिया भर में शारीरिक गतिविधियों के स्तर और मानसिक स्वास्थ्य को जबरदस्त नुकसान हुआ है, ऐसा एक इंटरनेशनल सर्वे से पता चला।
सर्वे में शामिल 14 देशों के 20 वैज्ञानिकों ने शारीरिक गतिविधि (Physical Activity) और एक्सरसाइज (Exercise) को महामारी से बेहतर तरीके से निपटने में मददगार बताया, लेकिन कोरोनावायरस (Coronavirus) प्रतिबंधों के कारण इनका स्तर बहुत घटा हुआ मिला।
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लगभग 15,000 लोगों ने 2020 की पहली कोरोनावायरस लहर के प्रतिबंधों से पूर्व और दौरान में अपनी फिजिकल एक्टिविटी के स्तर के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में भी जवाब दिया।
सर्वे के नतीजे शारीरिक गतिविधि और स्वास्थ्य में भारी कमी बताते है।
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जिन लोगों से पूछताछ की गई उनमें से दो तिहाई से अधिक अपनी गतिविधि के सामान्य स्तर को बनाए रखने में असमर्थ रहें। उनके चलने, दौड़ने, साइकिल चलाने आदि में औसतन 41 प्रतिशत की कमी आई।
वहीं, वजन उठाने वाली जोरदार एक्सरसाइज में भी 42 प्रतिशत गिरावट बताई गई।
पेशेवर खिलाडियों, नियमित जिम जाने वालों, युवाओं और कुछ बूढ़े लोगों पर इसका प्रभाव अधिक था।
बुजुर्गों की चलने-फिरने की एक्टिविटी में विशेष रूप से ध्यान देने योग्य गिरावट देखी गई। इससे उनके शरीर में फैट प्रतिशत या इंसुलिन खराब होने का खतरा था।
महामारी से पहले जहां 81 प्रतिशत लोग डब्ल्यूएचओ निर्देशित फिजिकल एक्टिविटी समय को पूरा कर पा रहे थे, लॉकडाउन के दौरान घटकर 63 प्रतिशत रह गए।
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एक्सरसाइज के फायदे बताने वाले 2015 के एक अध्ययन से पता चला है कि पर्याप्त एक्सरसाइज मृत्यु दर को 39 प्रतिशत तक कम कर सकती है। यही नहीं, इससे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कैंसर की संभावना भी कम होती है।
एक्सरसाइज प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाती है।
अध्ययनों से पता चलता है कि शारीरिक रूप से सक्रिय लोग वायरस से फैलने वाली अन्य बीमारियों और फेफड़ों के संक्रमण से कम प्रभावित होते है। इसके अलावा, एक्सरसाइज मोटापे जैसे गंभीर कोरोना करने वाले जोखिम को कम करके सुरक्षा प्रदान करती है।
फिजिकल एक्टिविटी करते रहने से डिप्रेशन और चिंता भी कम होते है।
सर्वे में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही लोगो के मानसिक स्वास्थ्य में भी 73 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
भाग लेने वालों ने स्वयं को कम “सक्रिय और ऊर्जा से भरा” महसूस किया। कुछ में डिप्रेशन तिगुना हो गया था। ऐसा प्रभाव महिलाओं और युवाओं में अधिक बताया गया।
हालांकि, 14 से 20 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने लॉकडाउन से स्वास्थ्य में सुधार भी बताया। इसके पीछे परिवार संग अधिक समय बिताना, कार्य की स्वतंत्रता, कम व्यावसायिक यात्राएं या स्वास्थ्य के प्रति समझ में बदलाव शामिल था।
वैज्ञानिकों को डर था कि लोगों के स्वास्थ्य पर कोरोनोवायरस प्रतिबंधों के बुरे प्रभावों के कारण भविष्य में उनकी स्वास्थ्य लागत में इजाफा होगा।
इसके कम करने के लिए उनका सुझाव था कि सरकारों को एक्सरसाइज और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर सेहत को हुए नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।
लोगों को सेहत-संबंधी बेहतर सार्वजनिक शिक्षा देकर उनके लिए घर पर या बाहर एक्सरसाइज के अवसर पैदा करने से संक्रमण की संभावना कम होगी। इससे मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
सर्वेक्षण में देखे गए नकारात्मक प्रभावों से बचकर ही भविष्य की महामारियों को टालना संभव हो पाएगा, ऐसी वैज्ञानिकों की सलाह थी।
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