Petticoat cancer: साड़ी के पेटीकोट का नाड़ा कसकर बांधने से “पेटीकोट कैंसर” हो सकता है।
यह चौंकाने वाली जानकारी दो पीड़ित महिलाओं के इलाज के बाद सामने आई है।
जानकारी देने वाले भारतीय डॉक्टरों ने पारंपरिक परिधान पहनने वाली महिलाओं को ‘पेटीकोट कैंसर’ से सावधान किया है।
इस बारे में उन्होंने BMJ Case Reports जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में विस्तार से बताया है।
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रिपोर्ट में पेटीकोट का नाड़ा कसकर बांधने से त्वचा पर घाव और कुछ मामलों में त्वचा कैंसर बताया गया है।
इसे पहले “साड़ी कैंसर” बताया गया था, लेकिन नाड़े की जकड़न को जिम्मेदार मानते हुए ‘पेटीकोट कैंसर’ कहा गया।
इस रोग से महाराष्ट्र की 60 और 70 वर्षीय दो महिलाएं ग्रस्त थी, जिन्हें क्रमश: ‘लुगडा’ और ‘नौवारी’ साड़ी से मार्जोलिन अल्सर हुआ।
मार्जोलिन अल्सर (Marjolin ulcer) ऐसा त्वचा कैंसर है जो जलने, ठीक से घाव न भरने या निशानों से बढ़ता है।
नौवारी साड़ी पहनने वाली महिला की त्वचा पर पेटीकोट का नाड़ा कसकर बांधने से छाला पड़ गया था।
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एक साल से अधिक समय तक भी ठीक न होने पर उसने छाले से बेरंग होती त्वचा का इलाज करवाया।
डॉक्टरों ने बायोप्सी के बाद उस महिला को मार्जोलिन अल्सर बताया।
इसे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) यानि अल्सर वाला त्वचा कैंसर भी कहा जाता है।
ऐसा ही अल्सर लगभग 60 वर्षीय महिला में मिला जो 40 वर्षों से ‘लुगडा’ साड़ी पहन रही थी।
उसका मार्जोलिन अल्सर तो कमर के लिम्फ नोड्स में से एक में फैल भी चुका था।
डॉक्टरों ने साड़ी-सलवार पहनने वाली महिलाओं को हर त्वचा संबंधी घाव से सावधान रहने को कहा।
उन्होंने कहा कि तंग कपड़ों के कारण कमर पर लगातार पड़ता दबाव अक्सर फोड़े-फुंसी में बदल जाता है।
छिलने पर यह घाव बन जाता है। घाव बेरंग या जल्द ठीक न होने पर घातक त्वचा कैंसर में विकसित हो सकता है।
स्टडी में शामिल डॉक्टर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और मधुबनी मेडिकल कॉलेज से थे।