एक स्टडी में पाया गया है कि लगातार खराब नींद (Sleep Disturbance) की समस्या से जूझने वालों को मरने का खतरा अधिक होता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के विषेशज्ञों ने जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च पत्रिका में छपे एक पेपर में इस स्टडी से मिलने वाले नतीजों को पुष्टि भी की है।
यूके में हुई एक स्टडी में शामिल दस लाख अधेड़ नागरिकों के सेहत-संबंधी आंकड़ों की जांच से यह पता चला।
ऐसे लोगों को या तो रात को सोने में परेशानी होती थी या बीच रात अचानक आंख खुल जाती थी।
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रिपोर्ट में कहा गया कि जिन लोगों को लगातार कई दिनों तक नींद न आने की समस्या रही, उन्हें अच्छी नींद वालों की तुलना में मरने का खतरा अधिक था।
ऐसा खतरा टाइप -2 डायबिटीज वालों को ज्यादा था। नौ वर्षों तक चली रिसर्च में बिना डायबिटीज या नींद की गड़बड़ी वालों की तुलना में ऐसे मरीजों के किसी भी कारण से मरने की संभावना 87 फीसदी अधिक थी।
विशेषज्ञों का कहना था कि स्टडी से खराब नींद और खराब स्वास्थ्य के बीच एक मजबूत संबंध स्पष्ट रूप से देखा गया।
अकेले डायबिटीज ही मौत होने के 67 फीसदी बढ़े हुए जोखिम से जुड़ी हुई थी। लेकिन नींद की समस्याओं से घिरे डायबिटीज के मरीजों को मौत होने का खतरा 87 फीसदी तक बढ़ा हुआ मिला।
ऐसे में विशेषज्ञों ने डायबिटीज वालों का इलाज करने वाले डॉक्टरों को मरीजों के नींद संबंधी विकारों की भी जांच करने की सलाह दी ताकि सही उपचार किया जा सके।